अरहर की फसलों पर पाले का प्रकोप
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जौनपुर। पहले से ही अरहर की फसल अच्छी नहीं थी, इधर पाला पड़ने से वह नष्ट हो गई। ऐसा होने से किसानों के चेहरे में सर्दी के बावजूद पसीना निकल रहा है। वैसे तो पूरे जिले में पाले से अरहर की फसल पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन किसी किसी खेत में पचास फीसद तक का नुकसान हो गया। चक्रीय व्यवस्था के तहत हर दूसरे साल खेतों में किसान अरहर की फसल बोते हैं। कम बारिश के चलते इस साल अरहर की फसल अन्य सालों की अपेक्षा अच्छी नहीं थी। इसके बावजूद किसान यह आशा कर रहे थे कि उतना उत्पादन हो जाएगा कि दाल के साथ साथ उसे बाजार में बेचकर अन्य जरूरत के खर्चे पूरे कर सकेंगे।किसानों की सोच के विपरीत फसल पर सर्दी के कारण प्रभावित हो गई। इससे कोढ़ में खाज की स्थिति बन गई है। वैसे तो पाले से पूरे जिले में अरहर की फसल आंशिक रूप से प्रभावित हुई है। पाले से प्रभावित खेतों में अरहर के खड़े डंठलों को देखकर किसान बेहद परेशान हैं। सर्दी के बावजूद सूखी अरहर की पौध देख किसानों के माथे पर अनायास ही पसीना निकल रहा है। जिन खेतों में नमी की जितनी कमी होती है अरहर की फसल उतनी ही भीषण सर्दी से प्रभावित होती है। अत्यधिक सर्दी के कारण पत्तियों का पानी जम जाता है। पत्तियों का पानी जम जाने से उसका आयतन बढ़ जाता है। ऐसा होने से पत्तियों की कोशिकाएं मर जाती हैं। ऐसी स्थिति आने के बाद पौधे पहले पीले होते हैं फिर सूख जाते हैं। इस स्थिति को ही पाला पड़ना कहा जाता है। पाला पड़ने के बाद जब पौधा पीला हो जाता है तब उसमें पानी दे दिया जाए तो फसल बचने की काफी संभावनाएं होती हैं।