स्कूलों में नहीं बंटा स्वेटर, ठिठुर रहे बच्चे
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जौनपुर। जिले के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्वेटर वितरण प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ पा रही है। शासन ने स्वेटर वितरण के लिये 100 रुपया प्रति छात्र के हिसाब से धन तो भेज दिये, लेकिन अब तक विद्यालय प्रबंध समिति के खातों में धनराशि नहीं पहुंची है। लिहाजा किसी विद्यालय में उधारी से स्वेटर का वितरण किया जा रहा है तो अधिकाँश विद्यालयों में प्रधानाचार्यो से स्वेटर वितरण से हाथ खड़े कर दिये। यही वजह है कि जनवरी माह बीतने की ओर है और बच्चों के तन पर स्वेटर नजर नहीं आ रहे। परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे निजी विद्यालयों के बच्चों के समान नजर आयें, इसको ध्यान में रखते हुये सरकार द्वारा तमाम योजनायें संचालित की जा रही है। सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिये जहाँ एक ओर निःशुल्क गणवेश का वितरण कराया जाता है तो वहीं रोजाना निर्धारित मीनू के मुताबिक बच्चों को मुफ्त में खाना भी खिलाया जाता है। इसके अलावा निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें भी बच्चों को मुहैया करवाई जाती है। इस बार सरकार ने परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को ठण्ड से बचाने के लिये स्वेटर वितरण की योजना बनाई। सरकार की मंशा थी स्वेटर वितरण स्थानीय स्तर पर न कराते हुये प्रदेश स्तर से ही टेण्डर प्रक्रिया अपनाई जाये। लखनऊ स्तर पर दो बार टेण्डर प्रक्रिया भी अपनाई गई, लेकिन स्वेटर वितरण की धनराशि कम होने की वजह से संस्थाओं ने हाथ खींच लिये। इस बीच जनवरी माह शुरू हो गया और स्वेटर वितरण को कोई संस्था तैयार नहीं हुई तो सरकार ने किरकिरी से बचने का रास्ता ढूढा और स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबन्ध समिति को सौंप दी। साथ ही स्वेटर वितरण से सम्बन्धित भारी-भरकम गाइड लाइन भी जारी कर दी गई। शासन के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह द्वारा जारी आदेश में एक स्पष्ट निर्देश दिये गये थे कि एक माह के भीतर स्वेटर वितरण प्रक्रिया अपनाई जाये। आदेश में कहा गया कि 20 हजार से 1 लाख रुपये का अनुमानित व्यय होने पर कोटेशन प्रक्रिया अपनाई जायेगी और एक लाख या इससे अधिक अनुमानित व्यय होने पर टेण्डर प्रक्रिया अपनाना होगी। इसके अलावा अन्य दिशा-निर्देश भी जारी कर दिये गये। शासन द्वारा स्वेटर वितरण की कमान जनपद स्तर पर सौंप दी और प्रति स्वेटर 100 रुपये के हिसाब से धनराशि भी जनपद को उपलब्ध करा दी गई, लेकिन अधिकाँश विद्यालय प्रबन्ध समितियों के खातों में अब तक स्वेटर वितरण की धनराशि नहीं पहुँची है। लिहाजा वहाँ बच्चों को स्वेटर वितरण नहीं कराया जा रहा है। जनवरी माह बाय-बाय कहने को है लेकिन अब तक बच्चों के तन पर स्वेटर नजर नहीं आ रहा है। दिन के समय में भले ही ठण्ड का अहसास न हो लेकिन सुबह-सुबह जब बच्चे स्कूल जाते है तो उस दौरान कड़ाके की ठण्ड से उनका सामना होता है। ऐसी स्थिति में बच्चे ठिठुरते हुये स्कूल पहुँच कर शिक्षण कार्य करते है। यदि यही हाल रहा तो ठण्ड बीतने के बाद ही सभी बच्चों को स्वेटर वितरण हो सकेगा।