मानव जीवन के लिये कल्याणकारी है गीता, रामायण व भागवतः स्वामी आत्मानन्द

जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था के केन्द्र मां शीतला चौकियां धाम में नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत व श्री रामकथा का बुधवार को शुभारम्भ हो गया। इस मौके पर महाराष्ट्र से पधारे नीलगिरि पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज ने दुःख, चिंता, भय, शत्रु, रोग एवं मृत्यु से बचने के साधनों पर प्रकाश डालते हुये भागवत कथा की शुरूआत किया। साथ ही उपरोक्त कठिनाइयों से बचने के लिये अगले 6 दिनों में भागवत के माध्यम से सरल मंत्र, व्रत एवं भक्ति का साधन बताया। उन्होंने कहा कि विषमता में समता का साधन है सत्संग। हम पहले मनुष्य हैं, फिर हिन्दू, मुस्लिम, सिख व ईसाई, क्योंकि मानवता की शक्ति है। मानव जीवन में क्रोध व ईर्ष्या विकास में सबसे बड़ा बाधक है। काम की प्रधानता से बुद्धि, विवेक व ज्ञान तीनों नष्ट हो जाता है। उपरोक्त कठिनाइयों से बचने के लिये भागवत कथा संजीवनी बूटी है। 4 बातों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिये- अग्नि, रोग, शत्रु एवं पाप। इन चारों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिये। ये 4 चीजें जीवन को नष्ट कर देती हैं। महाराज जी ने कहा कि पारस लोहे को छुकर सोना बना देती है लेकिन उस सोने को लोहा कोई नहीं बना सकता है, इसलिये वह सोना ही रहेगा। इसी तरह संत की कृपा हो जाने पर जीव परमात्मा की शरण में चला जाता है। फिर माया का उस जीव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस अवसर पर प्रवीण पण्डा, निराले गिरी, सचिन गिरी, विपिन माली, विनय गिरी, अनिल गुप्ता, आशुतोष राय, विनोद सिंह, विनय माली, आकाश गिरी, सोनू गुप्ता, आकाश यादव, विकास गिरी, संजय गुप्ता सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। इस दौरान बताया गया कि कथा प्रतिदिन सायं 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलेगी।

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