गेहूँ की अवशेष बोआई शीध्र पूरी कर ले किसान

जौनपुर।  गेहूँ की उन्नति तकनीक अपनाकर ही वेहतर उत्त्पादन प्राप्त किया जा सकता है। खेत की अच्छी तैयारी, समयानुसार प्रमाणित बीज का चयन, बीज शोघन, मृदा परीक्षण के आधार पर सन्तुलित पोषक तत्व प्रबंधन, लाइनों में समय से बुआई, खरपतवार नियंत्रण, समुचित सिंचाई प्रबंधन , एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन द्वारा फसल सुरक्षा, कटाई एवं मड़ाई प्रवन्धन अपनाकर बेहतर उत्त्पादन पाया जा सकता है।
उप परियोजना निदेशक " आत्मा " रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया है कि विलम्ब से बुआई का कार्य दिसम्बर के तीसरे सप्ताह तक पूर्ण करले तथा बीज की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा कर पर्याप्त नमी में शिडड्रिल / जीरोटिल मशीनों से लाइन में शीध्र पूरी कर ले।
डिप्टी पीडी रमेश चंद्र यादव ने बताया कि विलम्ब से बुआई हेतु डीबीडब्लू 16, एच0 डी0 3059, राज - 3077, हलना, उन्नत हलना प्रजातियों की बुआई बीज शोघन ढाई ग्राम थीरम एवं 2 ग्राम कारबेंडाज़ीम प्रति किग्रा0 बीज की दर से करके बुआई कर पहली सिचाई 17 दिन पर हल्की करके पहले टोटल दवा से खरपतवारों को नियंत्रित करे , इसके 5 दिनों बाद 20 किग्रा0 यूरिया एवं 5 किग्रा0 ज़िंकसल्फेट 800 ली0 पानी मे धोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से फोलिएर छिड़काव करने पर वेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।

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