मानव जीवन के लिये कल्याणकारी है धर्मः आत्म प्रकाश

जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के 5वें दिन सन्त शिरोमणि स्वामी आत्म प्रकाश जी महराज ने कहा कि धन के चार हकदार होते हैं। धर्म, राजा, अग्नि और चोर। बड़े भाई धर्म का जिसके जीवन में अपमान होता है। ये तीनों उसके जीवन में उत्पात मचाकर पीड़ा देते हैं। लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू है। धर्म के बिना जिसके जीवन में आती है, उनके यहां हिंसा व मदिरा द्वारा बच्चे पतन के रस्ते पर जाते हैं, इसलिये धन को धर्म में खर्च करके धन नहीं, बल्कि भगवान की भक्ति माननी चाहिये। भगवान की भक्ति का मूल आधार सत्य है। महाराज जी ने कहा कि जहां सत्य है, वहां भागवत की वंदना सत्यम परम् धीमहि से हुई है। सत्य का पालन करके हरिश्चन्द्र ने सब कुछ दे दिया। वासुदेव जी के 6 पुत्रों की हत्या कर दी गयी लेकिन वह सत्य नहीं छोड़े। परिणाम उन्हें भगवान का दर्शन हुआ। कथा के अंत में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की आकर्षण झांकी प्रस्तुत की गयी। इस अवसर पर राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, अजय पण्डा, विपिन सैनी, अम्बिका प्रसाद, आनन्द त्रिपाठी, विनय त्रिपाठी, राधारमण त्रिपाठी, धीरज त्रिपाठी, नन्द किशोर मोदनवाल, अमरनाथ वर्मा, प्रवीण, आकाश, विनय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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