काकोरी कांड महानायक को अर्पित की श्रद्धांजलि
https://www.shirazehind.com/2017/12/blog-post_283.html
जौनपुर। जनपद के सरावां गांव स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर
रविवार को ¨हदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के
तत्वावधान में काकोरी कांड के महानायक राजेंद्र नाथ लाहिड़ी का 90 वां
बलिदान दिवस मनाया। लोगों ने आजादी की लड़ाई के पुरोधा एवं काकोरी कांड के
महानायक को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा, महान क्रांतिकारी राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए पंडित राम प्रसाद विस्मिल, रोशन ¨सह, अशफाक उल्लाह का साथ किया। चारों महान सेनानियों ने उस समय नौ अगस्त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम दिया। अंग्रेजों ने उन्हें सजा-ए-मौत का आदेश दिया। इन सपूतों को 19 दिसंबर सन 1927 को फांसी देने की तिथि तय की गई, मगर उस समय अंग्रेजों को लगा कि श्री लाहिड़ी इनके अगुवा हैं। यह फांसी की निर्धारित तिथि के पूर्व जेल में कुछ और करा सकते हैं, इसलिए अंग्रेजों ने फांसी की तारीख से दो दिन पूर्व ही उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला कारागार में फांसी पर लटका दिया। ऐसे वीर सपूत को श्रद्धांजलि देना गर्व की बात है।
सुश्री कौर ने कहा कि काकोरी कांड की बदौलत अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला देने वाले अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिडी ने फांसी के तख्ते पर चढने से पहले जेलर से हंसते हुए कहा था मैं मर नहीं रहा बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूं। फांसी के फंदे को चूमने के बाद उनके वंदेमातरम की गगनभेदी हुंकार से अंग्रेज अधिकारी हिल गए थे। उन्हे एहसास हो गया था कि लाहिड़ी की फांसी के बाद अब रणबांकुरे उन्हें चैन से जीने नहीं देंगे। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में धरम ¨सह, अनिरुद्ध ¨सह, हरवंश कौर, मैनेजर पांडेय सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा, महान क्रांतिकारी राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए पंडित राम प्रसाद विस्मिल, रोशन ¨सह, अशफाक उल्लाह का साथ किया। चारों महान सेनानियों ने उस समय नौ अगस्त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम दिया। अंग्रेजों ने उन्हें सजा-ए-मौत का आदेश दिया। इन सपूतों को 19 दिसंबर सन 1927 को फांसी देने की तिथि तय की गई, मगर उस समय अंग्रेजों को लगा कि श्री लाहिड़ी इनके अगुवा हैं। यह फांसी की निर्धारित तिथि के पूर्व जेल में कुछ और करा सकते हैं, इसलिए अंग्रेजों ने फांसी की तारीख से दो दिन पूर्व ही उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला कारागार में फांसी पर लटका दिया। ऐसे वीर सपूत को श्रद्धांजलि देना गर्व की बात है।
सुश्री कौर ने कहा कि काकोरी कांड की बदौलत अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला देने वाले अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिडी ने फांसी के तख्ते पर चढने से पहले जेलर से हंसते हुए कहा था मैं मर नहीं रहा बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूं। फांसी के फंदे को चूमने के बाद उनके वंदेमातरम की गगनभेदी हुंकार से अंग्रेज अधिकारी हिल गए थे। उन्हे एहसास हो गया था कि लाहिड़ी की फांसी के बाद अब रणबांकुरे उन्हें चैन से जीने नहीं देंगे। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में धरम ¨सह, अनिरुद्ध ¨सह, हरवंश कौर, मैनेजर पांडेय सहित तमाम लोग मौजूद रहे।