श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन हुई रूक्मणि विवाह की प्रस्तुति
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जौनपुर।
मां शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के 6वें दिन संत
शिरोमणि आत्मानन्द सरस्वती जी महराज ने कहा कि वायु दुर्गंधी-सुगंधि दोनों
का साथ करके फिर दोनों को छोड़कर अपने रूप में शुद्ध हो जाता है। अग्नि गीली
लकड़ी को जलाकर फिर शुद्ध हो जाती है। पृथ्वी हर व्यहहार में लोक कल्याण का
परिणाम देती है। उसी तरह जो सच्चे संत होते हैं, उनका जीवन उठना, बैठना,
चलना लोक कल्याण के लिये होता है। हर व्यवहार समाज को देते हुये अपने आपमें
निर्मल होते हैं। कथा के अंत में रूक्मणी विवाह की आकर्षण झांकी प्रस्तुत
की गयी जिसे देखकर उपस्थित लोग भाव-विभोर हो गये। इस अवसर पर पूर्व सांसद
विद्यासागर सोनकर, केराकत के युवा उद्यमी/समाजसेवी राजेश साहू, संतोष
सोनकर, छोटे लाल श्रीमाली, रविकांत, संतोष, सचिन, विनय, रतन गिरी, विकास
पण्डा, राजकुमार माली, राहुल त्रिपाठी, गुड्डू त्रिपाठी, अशोक श्रीवास्तव,
विपिन माली सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।