समय रहते प्रभु की अनुभूति प्राप्त करना जरूरी
https://www.shirazehind.com/2017/12/blog-post_162.html
जौनपुर। यह जीवन अमोलक है जो बड़े भाग्य से प्राप्त होता है, इसलिए इसकी समय रहते कद्र कर लेनी चाहिए। समस्त जीवों में मानव को सर्वश्रेष्ठ होने का गौरव हासिल है। क्योकि सोचने समझने की शक्ति इंसान के पास ही है, अन्य जीवों को यह शक्ति ईश्वर ने नही दी है। इसलिए समय रहतें प्रभु की अनुभूति प्राप्त करना जरूरी है।
उक्त उदगार मड़ियाहूँ पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में आज क्षमा याचना दिवस व परमपूज्य ब्रम्हलीन संत जे0 एन0 पान्ड़ेय जी (पूर्व जोनल इंचार्ज) की प्रथम पूर्ण तिथि के अवसर पर ‘‘प्रेरणा दिवस‘‘ के रूप में आयोजित निरंकारी सत्संग समारोह में उपस्थित विशाल संत समूह को सम्बोधित करते हुऐं दिल्ली से आयें विद्वान संत व केन्द्रीय ज्ञान प्रचारक पंड़ित अब्दुल गफ्फार खाँन ने व्यक्त किया। उन्होने आगे कहा कि संत जन प्रभु को जीवन में बसानें की प्रेरणा देते है जिससे जिवन में संतुष्टि का भाव मजबूत हों। जब प्रभु मन में बस जातें है तों खालीपन नही रहता। यह मन प्रभु से भरपूर हो जाता है जो जीवन में ईश्वर को अपना लेता है उनके जीवन में सतुष्टि आ जाती है। यही संदेश युगों-युगों से महापुरूषों ने दिया है। श्री जे0 एन0 पाण्डे़य जी ने सतगुरू के वचनों को अपनाकर जीवन जीयें। आज हम सन्तों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है। हमेंशा इंसान को जागृती प्रदान करने का काम संत महापुरूषों ने किया है हांलाकि इंसान ने साधन और सुविधाओं के लिहाज से तरक्की की किन्तु फितरत वही रही है। सोच में पिछड़ापन, निन्दा, नफरत, आज भी बरकरार है।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मानिकचन्द तिवारी (जोनल इन्चार्ज), सत्यवीर दिवाना, श्याम लाल साहू (संयोजक अजय इलाहाबादी, राजेन्द्र पाण्ड़ेय, सर्वेश पांण्डेय, वशिष्ट नारायन पाण्डेय, शशांक गुप्ता, राजबहादुर , सुरेन्द्र , रोली जायसवाल इत्यादि लोग उपस्थित रहें। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सेवादल के भाई-बहनों का अहम योगदान रहा।
मंच का संचालन उदयनारायण जायसवाल ने किया,
उक्त उदगार मड़ियाहूँ पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में आज क्षमा याचना दिवस व परमपूज्य ब्रम्हलीन संत जे0 एन0 पान्ड़ेय जी (पूर्व जोनल इंचार्ज) की प्रथम पूर्ण तिथि के अवसर पर ‘‘प्रेरणा दिवस‘‘ के रूप में आयोजित निरंकारी सत्संग समारोह में उपस्थित विशाल संत समूह को सम्बोधित करते हुऐं दिल्ली से आयें विद्वान संत व केन्द्रीय ज्ञान प्रचारक पंड़ित अब्दुल गफ्फार खाँन ने व्यक्त किया। उन्होने आगे कहा कि संत जन प्रभु को जीवन में बसानें की प्रेरणा देते है जिससे जिवन में संतुष्टि का भाव मजबूत हों। जब प्रभु मन में बस जातें है तों खालीपन नही रहता। यह मन प्रभु से भरपूर हो जाता है जो जीवन में ईश्वर को अपना लेता है उनके जीवन में सतुष्टि आ जाती है। यही संदेश युगों-युगों से महापुरूषों ने दिया है। श्री जे0 एन0 पाण्डे़य जी ने सतगुरू के वचनों को अपनाकर जीवन जीयें। आज हम सन्तों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है। हमेंशा इंसान को जागृती प्रदान करने का काम संत महापुरूषों ने किया है हांलाकि इंसान ने साधन और सुविधाओं के लिहाज से तरक्की की किन्तु फितरत वही रही है। सोच में पिछड़ापन, निन्दा, नफरत, आज भी बरकरार है।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मानिकचन्द तिवारी (जोनल इन्चार्ज), सत्यवीर दिवाना, श्याम लाल साहू (संयोजक अजय इलाहाबादी, राजेन्द्र पाण्ड़ेय, सर्वेश पांण्डेय, वशिष्ट नारायन पाण्डेय, शशांक गुप्ता, राजबहादुर , सुरेन्द्र , रोली जायसवाल इत्यादि लोग उपस्थित रहें। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सेवादल के भाई-बहनों का अहम योगदान रहा।
मंच का संचालन उदयनारायण जायसवाल ने किया,