आत्मा व परमात्मा का बोध कराने के प्रसंग को सत्संग कहते हैंः संत शिरोमणि
https://www.shirazehind.com/2017/12/blog-post_102.html
जौनपुर।
पूर्वांचल की आस्था का केन्द्र मां शीतला चौकियां धाम में चल रहे
श्रीमद्भागवत व श्री रामकथा के दूसरे दिन महाराष्ट्र से पधारे नीलगिरि
पीठाधीश्वर संत शिरोमणि स्वामी आत्मा प्रकाश जी महराज ने कहा कि आत्मा व
परमात्मा का बोध कराने के प्रसंग को सत्संग कहते हैं। जिसके जीवन से सत्य
निकल गया, वह पतन के रास्ते पर जाता है। सत्य ईमान व समाज के प्रति उत्तम
व्यवहार करने की संजीवनी बूटी है। श्रीमद्भागवत कथा मन इन्दरियों को संयमित
करने के लिये स्वध्याय सत्संग उत्तम साधन है। पाप के बाप का नाम लोभ है।
लोभ के कारण बेईमानी व भ्रष्टाचार को शक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि
भागवत कथा से लोभ के ऊपर काबू पाया जा सकता है। मोह के कारण भाई भाई से भी
बेईमानी का रास्ता अपनाता है। परिवार में कलह का सबसे बड़ा कारण मोह है। कलह
से बचने के लिये भागवत कथा अमृत तुल्य है। अंत में नारद व धु्रव की झांकी
को देखकर उपस्थित लोग भाव-विभोर हो गये। (जायेगा जब यहां से कोई ना साथ
होगा। दो गज कफन का टुकड़ा तेरा लिबास होगा)। कथा में श्री राममोहन द्वारा
इस भजन को सुनकर श्रोतागण झूम उठे। इस अवसर पर अशोक श्रीवास्तव, रतन गिरी,
राजकुमार माली, गुड्डू त्रिपाठी, हनुमान त्रिपाठी, मुकेश श्रीवास्तव,
सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, गिरीश नाथ त्रिपाठी, विपिन माली सहित सैकड़ों
नर-नारी उपस्थित रहे।