सुझाव : 30 नवम्बर तक करे गेंहू की बुआई
https://www.shirazehind.com/2017/11/30_27.html
जौनपुर। गेहूँ की बुआई समय से पर्याप्त नमी में लाइन से करनी चाहिए। जैसे -
जैसे बुआई में विलम्ब होती है वैसे - वैसे उत्पादन में कमी आती जाती है।
कृषि तकनीकी सहायक व विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ0 रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव दिया है कि 30 नवम्बर तक गेहूँ की वुआई का सर्वश्रेष्ठ एवं उपयुक्त समय है। दिसम्बर में बुआई करने से प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह 3 से 4 कुन्तल और जनवरी में बुआई करने पर प्रति हेक्टेयर 4 - 5 कुन्तल प्रति सप्ताह उपज घटती जाती है।
डॉ0 यादव ने बताया कि किसानों की आय दो गुनी करने के लिए कृषि विभाग विशेष पहल किया हुआ है। बुआई के लिए सीडड्रिल / जीरोटिल /मल्टीक्रॉप प्लान्टर 50 % अनुदान पर उपलब्ध करवा कर किसानों के खेतों में रवी फसलों की कतार में कराई गाएगी। उन्होंने बताया कि मशीनों से बुआई कराने पर बीज, खाद, पानी व रसायन की कम मात्रा यानि कृषि निवेशों की बचत करते हुए सवा गुना गुड़वत्ता युक्त उत्त्पादन लिया जा सकता है।
डॉ0 यादव ने वताया कि लाइन मे वुआई करने से बीज एक निश्चित गहराई व अन्तराल पर गिरता है एक एकड़ के लिए 40 किग्रा0 गेहूँ का बीज व 50 किग्रा0 डीएपी लगती है। लाइन में बुआई से खाद एवं बीज का प्रापर प्लेसमेंट होता है इसलिए उत्पादन बढ़ जाता है। बुआई पाच सेमी0 गहराई पर होती है इसलिए जड़ो का विकास अच्छा होता है। फरवरी में जब गर्म हवाएं चलती है तो सिचाई करने पर फसल गिरती नही इतना ही नही करात में बुआई होने से सस्य क्रियाए आसानी से होती है। उन्होंने कहा कि लाइन सोइग से प्रति हेक्टेयर4 हजार रु0 की लागत में कमी लाते हुए उत्पादन में सवा गुना बृद्धि कर किसान अपनी उन्नति कर कृषि का सतत विकास कर सकते है।
कृषि तकनीकी सहायक व विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ0 रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव दिया है कि 30 नवम्बर तक गेहूँ की वुआई का सर्वश्रेष्ठ एवं उपयुक्त समय है। दिसम्बर में बुआई करने से प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह 3 से 4 कुन्तल और जनवरी में बुआई करने पर प्रति हेक्टेयर 4 - 5 कुन्तल प्रति सप्ताह उपज घटती जाती है।
डॉ0 यादव ने बताया कि किसानों की आय दो गुनी करने के लिए कृषि विभाग विशेष पहल किया हुआ है। बुआई के लिए सीडड्रिल / जीरोटिल /मल्टीक्रॉप प्लान्टर 50 % अनुदान पर उपलब्ध करवा कर किसानों के खेतों में रवी फसलों की कतार में कराई गाएगी। उन्होंने बताया कि मशीनों से बुआई कराने पर बीज, खाद, पानी व रसायन की कम मात्रा यानि कृषि निवेशों की बचत करते हुए सवा गुना गुड़वत्ता युक्त उत्त्पादन लिया जा सकता है।
डॉ0 यादव ने वताया कि लाइन मे वुआई करने से बीज एक निश्चित गहराई व अन्तराल पर गिरता है एक एकड़ के लिए 40 किग्रा0 गेहूँ का बीज व 50 किग्रा0 डीएपी लगती है। लाइन में बुआई से खाद एवं बीज का प्रापर प्लेसमेंट होता है इसलिए उत्पादन बढ़ जाता है। बुआई पाच सेमी0 गहराई पर होती है इसलिए जड़ो का विकास अच्छा होता है। फरवरी में जब गर्म हवाएं चलती है तो सिचाई करने पर फसल गिरती नही इतना ही नही करात में बुआई होने से सस्य क्रियाए आसानी से होती है। उन्होंने कहा कि लाइन सोइग से प्रति हेक्टेयर4 हजार रु0 की लागत में कमी लाते हुए उत्पादन में सवा गुना बृद्धि कर किसान अपनी उन्नति कर कृषि का सतत विकास कर सकते है।