दीपावली पर जगमगाये खुशियों का दीप
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जौनपुर। जिले भर में दीपावली धूमधाम से मनायी गयी। हर जगह सजावट और उल्लास दिखाई दिया। पटाखों की धूम रही, बच्चे दिन से ही पटाखे जलाने लगे तो शाम होते ही बड़े भी इसमें शामिल हो गये। ।धन की देवी महालक्ष्मी के साथ विघ्न-विनाशक गणेश की पूजा-आराधना की विधि विधान से की गयी। माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात में देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिस घर में स्वच्छता और शुद्धता होती है वह वहां निवास करती है। त्योहारों में दीपावली का काफी विशिष्ट स्थान है। त्योहार के अवसर पर घरों और दुकानों को सजाया -संवारा उनकी साफ-सफाई की जाती है। पांच दिन तक चलने वाले दिवाली त्योहार का मुख्य दिन दीपावली के रूप में मनाया जाएगा। दिवाली तीन पर्वों के मिश्रण धनतेरस, नरक चतुर्दशी और महालक्ष्मी पूजन का त्योहार है। धनतेरस से शुरू होने वाला दिवाली का त्योहार भाईदूज के दिन समाप्त होता है। दिवाली को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। लोगों ने घरों और अपने प्रतिष्ठानों को रंग बिरंगी बिजली की झालरों से सजाया है। दरवाजों पर अशोक की पत्तियों और फूलों को लगाकर सजाया गया है। रंग बिरंगे बल्ब और बिजली की झालरें तकरीबन हर घर और प्रतिष्ठान पर दिख रहे हैं। 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने का प्रतीक दिवाली को माना जाता है। अपने पिता राजा दशरथ के आदेश के बाद भगवान राम वनवास के लिए गए थे। इस दौरान उन्होने वन में 14 साल बिताए। वनवास के दौरान लंकापति रावण ने सीता का हरण कर लिया था। इसके बाद भगवान राम ने रावण से युद्ध किया और रावण को मारकर अपनी पत्नी सीता को लेकर वापस अयोध्या लौटे। उनके वापस आने की खुशी में अयोध्या को दीपों से सजाया गया था। तभी से इस दिन को दिवाली पर्व के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।