काम न मिले से मजदूरों की दीवाली फीकी
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जौनपुर। एक तरफ केंद्र एवं प्रदेश सरकार कह रही है कि सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की वजह से आम आदमी को राहत मिली है, लेकिन इसके ठीक विपरीत गरीबों एवं दिहाड़ी मजदूरों का हाल बेहाल है। जिले में विगत छह माह में रोजगार सृजन बहुत ही कम हुआ है। जिसका सीधा असर आम आदमी की थाली से लेकर अन्य जरूरत की वस्तुओं पर पड़ा है। तफ्तीश करने पर जो हकीकत सामने आई उसके अनुसार भवन निर्माण सामग्री जैसे मोरंग, सफेद बालू का दाम बढ़ने से मकान निर्माण का काम लगभग ठप पड़ गया है। इसके साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा के बजट में कटौती की वजह से जाब कार्ड धारी मजदूरों में से कुछ सैकड़े नाममात्र के मजदूरों को दस पांच दिन मजदूरी मिली है। इसी के साथ जीएसटी की वजह से निजी क्षेत्रों के संस्थानों में विगत तीन महीने में यहां काम पाने वाले श्रमिकों के भी रोजगार में गिरावट दर्ज की गई है। कुछ यही स्थिति रोजगार के सिलसिले में दिल्ली, मुंबई जाने वाले श्रमिकों की भी है ,इनके अनुसार यहां पर भी धंधा मंदा चल रहा है। दिवाली पर विभिन्न वस्तुओं पर कर का बोझ बढ़ने के साथ लाइसेंस प्रक्रिया की जटिलता की वजह से छोटे दुकानदार व्यवसाय करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कई मजदूरों का कहना है कि काम न मिलने के कारण इस साल दीवाली फीकी रही, महंगाई की वजह से बच्चों का किसी प्रकार पेट भरे कि त्योहार मनायें।