जौनपुर की महिलाओ ने कहा इस बार दीपावली मिट्टी के दिये जलाकर मनाऊंगी
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जौनपुर। दीपावली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है।दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं, तथा सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। इस दीपो के पर्व पर पूरी तरह से इलेक्ट्रानिक झालरो का कब्जा हो गया है। खासकर चाइना झालरो ने पूरी तरह से इस देशी पर्व को अपने चंगुल में ले लिया है।
इस बार लोग कैसे दीपावली बनाये जायेगा इस मुद्दे पर शिराज ए हिन्द डाॅट काम ने नगर कुछ जागरूक महिलाओ से बात किया। सभी महिलाओ ने इस बार वातावरण को प्रदूषित करने वाले पटाखा फोड़ने से परहेज करते हुए चाइनीज झालरो का वहिष्कार करने की बात कही । सभी ने कहा कि इस बार हम लोग मिट्टी के दिये जलाकर दीपावली बनायेगे।
नखास मोहल्ले के निवासी ऋचा गुप्ता ने कहा कि आने वाले भविष्य के लिए पर्यावरण के लिए हम लोग पटाखे नही जलाऊंगी। गरीब बच्चो को खिलौने कपड़े और मिठाईयां बाटूगीं। चाइनीज झालरो को नही बल्की मिट्टी के दिये जलाकर दिवाली बनाऊंगी।
स्टेशन रोड भण्डारी मोहल्ले की रहने वाली चारू शर्मा ने कहा कि दीपावली हिन्दुओं का मुख्य पर्व है। जिसमें माता लक्ष्मी का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है। उनके स्वागत के लिए प्रकाश का यह त्योहार मनाते है साथ ही आज ही के दिन भगवान राम 14 वर्षो का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या वासियों द्वारा उनके मार्गो से लेकर नगर तक मिट्टी के दियो वातावरण को रौशन कर दिया था। पर बढ़ते समय के साथ मिट्टी के दीपो की महत्ता कम होती जा रही है साथ ही चाइना द्वारा निर्मित लाईटो का उपयोग बढ़ता जा रहा है। हम हिन्दुस्तानी होते हुए भी भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे है। विदेशी झालरो लटकन वाल हैंगिंग का फैशन से कुम्हारो द्वारा निर्मित दियों को पीछे छोड़ते जा रहे है। हम यह भूलते जा रहे है कि यही कुम्हार साल भर जी तोड़ मेहनत करके अपने माल को बाजार में इस लिए बेचते है कि उनके बीबी बच्चे दीपावली मना सके। मगर चाइना आईटम द्वारा उनके रोजी रोटी पर संकट पैदा कर दिया है। मुझे लेख द्वारा यही प्रयास है कि भारतीय संस्कृति को बरकरार रखते हुए मिट्टी के दियों का उपयोग करे। इससे हमारा पर्यावरण भी प्रदूषण से दूर होगा। कुम्हारो की रोजी रोटी भी बचेगा । यही मिली जुली प्रतिक्रिया रासमण्डल मोहल्ले की निवासी अल्का उपाध्याय, पुरानीबाजार की निवासी एकता गुप्ता, ओलन्दगंज की ममता गुप्ता, कोतवाली की प्रतिमा गुप्ता, ताड़तला की संगीता सेठ और रूहट्टा मोहल्ले की निवासी दीप शिखा चौरसिया ने दिया। सभी ने चाइनिज आइटमो का बहिष्कार करते हुए मिट्टी के दिये जलाने का ऐलान किया। कुछ महिलाओ ने कहा कि बच्चो की खुशियों के लिए हल्के पटाखे दागने की बात कही है।
इस बार लोग कैसे दीपावली बनाये जायेगा इस मुद्दे पर शिराज ए हिन्द डाॅट काम ने नगर कुछ जागरूक महिलाओ से बात किया। सभी महिलाओ ने इस बार वातावरण को प्रदूषित करने वाले पटाखा फोड़ने से परहेज करते हुए चाइनीज झालरो का वहिष्कार करने की बात कही । सभी ने कहा कि इस बार हम लोग मिट्टी के दिये जलाकर दीपावली बनायेगे।
नखास मोहल्ले के निवासी ऋचा गुप्ता ने कहा कि आने वाले भविष्य के लिए पर्यावरण के लिए हम लोग पटाखे नही जलाऊंगी। गरीब बच्चो को खिलौने कपड़े और मिठाईयां बाटूगीं। चाइनीज झालरो को नही बल्की मिट्टी के दिये जलाकर दिवाली बनाऊंगी।
स्टेशन रोड भण्डारी मोहल्ले की रहने वाली चारू शर्मा ने कहा कि दीपावली हिन्दुओं का मुख्य पर्व है। जिसमें माता लक्ष्मी का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है। उनके स्वागत के लिए प्रकाश का यह त्योहार मनाते है साथ ही आज ही के दिन भगवान राम 14 वर्षो का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या वासियों द्वारा उनके मार्गो से लेकर नगर तक मिट्टी के दियो वातावरण को रौशन कर दिया था। पर बढ़ते समय के साथ मिट्टी के दीपो की महत्ता कम होती जा रही है साथ ही चाइना द्वारा निर्मित लाईटो का उपयोग बढ़ता जा रहा है। हम हिन्दुस्तानी होते हुए भी भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे है। विदेशी झालरो लटकन वाल हैंगिंग का फैशन से कुम्हारो द्वारा निर्मित दियों को पीछे छोड़ते जा रहे है। हम यह भूलते जा रहे है कि यही कुम्हार साल भर जी तोड़ मेहनत करके अपने माल को बाजार में इस लिए बेचते है कि उनके बीबी बच्चे दीपावली मना सके। मगर चाइना आईटम द्वारा उनके रोजी रोटी पर संकट पैदा कर दिया है। मुझे लेख द्वारा यही प्रयास है कि भारतीय संस्कृति को बरकरार रखते हुए मिट्टी के दियों का उपयोग करे। इससे हमारा पर्यावरण भी प्रदूषण से दूर होगा। कुम्हारो की रोजी रोटी भी बचेगा । यही मिली जुली प्रतिक्रिया रासमण्डल मोहल्ले की निवासी अल्का उपाध्याय, पुरानीबाजार की निवासी एकता गुप्ता, ओलन्दगंज की ममता गुप्ता, कोतवाली की प्रतिमा गुप्ता, ताड़तला की संगीता सेठ और रूहट्टा मोहल्ले की निवासी दीप शिखा चौरसिया ने दिया। सभी ने चाइनिज आइटमो का बहिष्कार करते हुए मिट्टी के दिये जलाने का ऐलान किया। कुछ महिलाओ ने कहा कि बच्चो की खुशियों के लिए हल्के पटाखे दागने की बात कही है।