...अब्बास है जलाल में हरगिज न टोकना

जौनपुर। प्यासा है शेर घाट का रास्ता न रोकना, अब्बास है जलाल में हरगिज न टोकना। ये मातमी सदा कठघरा इमाम चौक से छठवीं मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन के भाई हुसैनी लश्कर के अलमदार हजरत अब्बास अलमदार की शहादत की याद में निकले मातमी जुलूस निकाला गया जिसमें शहर की प्रमुख अंजुमनों ने नौहा मातम कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। कठघरा इमाम चौक से निकले इस जुलूस की मजलिस को अजादारी काउंसिल के अध्यक्ष सैय्यद मोहम्मद हसन ने खिताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने अपने नाना का दीने इस्लाम बचाने के लिए कर्बला में अपने पूरे परिवार की शहादत देखकर दुनिया को ये दिखा दिया कि हम सर तो कटा सकते है पर सका झुका नहीं सकते। आज जिस तरह से आतंकवाद के नाम पर इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है वो मुसलमान हो ही नहीं सकते क्योंकि इस्लाम ने जान देना सिखाया है जान लेना नहीं। मजलिस की सोजखानी डा. वकार हुसैन और उनके हमनवा ने किया। जुलूस की अध्यक्षता मिर्जा अल्तमस ने किया। बाद खत्म मजलिस अंजुमन कौसरिया ने अलम का विशाल मातमी जुलूस निकाला जो अपना कदीम रास्ता बदलापुर पड़ाव, ओलन्दगंज, नखास गली, शाही पुल, कसेरी बाजार, चहारसू, हरलालका रोड, कल्लू का इमामबाड़ा पहुंचा। यहां डा. कमर अब्बास ने तकरीर किया। उन्होंने कहा कि कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के छोटे भाई गाजी अब्बास जब अपनी चार साल की भतीजी सकीना के लिए पानी लेने गए उसी समय जालिम यजीदियों ने उन्हें घेर कर उनके दोनों हाथ काटकर शहीद कर दिया। मसाएब का ये दास्तां सुनकर मजलिस में मौजूद लोग दहाड़े मारकर रोते बिलखते देखे गए। जिसके बाद शबीहे ताबूत जनाबे शकीना कल्लू के इमामबाड़े से निकाला गया और उसे अलम मुबारक से मिलाया गया। इस दर्दनाक मंजर को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक गये। जुलूस अबीरगढ़ टोला होते हुए हमाम दरवाजा स्थित मौलाना शमीम आलम के इमाम बारगाह में जाकर समाप्त हुआ। शहर की प्रमुख अंजुमनों ने जंजीर और छुरों का मातम कर अपने को लहूलुहान कर लिया। इस मौके पर मिर्जा मोहम्मद बाकर, मिर्जा अल्तमस, शहजादे, तहसीन शाहिद, मुन्ना अकेला, मिर्जा जावेद सुल्तान, सभासद मुकेश सिंह, मिर्जा मोहम्मद बाकर, फैजी मुगल, हैदर मेहदी बाबू, हाजी असगर हुसैन जैदी, लाडले हुसैन जैदी, फैसल हसन तबरेज, रिजवान हैदर राजा, मिर्जा रुशेद रजा, जीशान हैदर बबलू, रफत, हसन जाहिद खान बाबू आदि के साथ हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट ने किया। वहीं नगर के बसवाड़ी तले इमामबाड़े से अंजुमन हुसैनिया के तत्वावधान में जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते मानिक चौक होते हुए शाही किला पहुंचा जहां गुलामुनल सकलैन ने तकरीर किया। जुलूस के बाद शबीहे जुलजनाह व तुर्बत निकाला गया। जुलूस बलुआघाट होते हुए इमलीतले के इमामबाड़े में जाकर समाप्त हुआ। शहर कोतवाल शशिभूषण राय सभी चौकी प्रभारी सहित भारी सुरक्षा बल तैनात थे।

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