पण्डालों में पधारे गणपति, पूजनोत्सव शुरू

   जौनपुर। जिले भर गणपति पूजनोत्सव शुक्रवार से शुरू हो गया है। गणपति बप्पा की प्रतिमायें सवेरे से ही वाहनों से ले जाकर पूजा पण्डालों में स्थापति की गयी और उनका विधि विधान से पेजन दर्शन शुरू हो गया है। नगर में एक दर्जन स्थानों से अधिक पूजा पण्डाल सजाये गये है। जहां गणपति बप्पा मोरया की आवाजें गुजायमान हो रही है। देर शाम तक लोग पूजन दर्शन के लिए पहुंच रहे थे। पण्डालों को आकर्षक तरीके से रंगीन कागजों तथा विद्युत उपकरणों से सजाया गया था।  धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की।मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी। दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते है। अलग अलग कामनाओ की पूर्ति के लिए अलग अलग द्रव्यों से बने हुए गणपति की स्थापना की जाती हैं।

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