शहीदों और महापुरूषों को भुला चुके राजनेता : मंजीत कौर
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62 की जयन्ती, 189 का मनाते हैं निर्वाण दिवस
जौनपुर। शहीदों हम शर्मिन्दा हैं, तुझे भुलाकर जिन्दा है, का नारा देने वाली मंजीत कौर का कहना है कि हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के बैनर तले संस्था साल भर में 62 महापुरूषों का जन्म दिन और एक सौ नवासी महापुरूषों का बलिदान व निर्वाण दिवस मनाते हैं। जिले के मछलीशहर तहसील के पंवारा गांव की रहने वाली मंजीत कौर ने बताया कि जनवरी के महीने में हम लोग सात महापुरूषों क्रमश: 22 को अमर शहीद रोशन सिंह, 23 को नेताजी सुभाष चन्द बोस, 28 को लाल लाजपत राय, 30 को अमर शहीद मंगल पाण्डेय व तीन अन्य का जन्म दिन व चार अन्य का बलिदान दिवस मनाते है। इसी तरह फरवरी माह में जिन तीन महापुरूषों का जन्म दिन हम लोग मनाते हैं उनमें 11 को तिलका मांझी, 13 को सरोजनी नायडू, 23 को सन्त गाडगे है। इसके साथ ही 11 महान बलिदानियों क्रमश: 4 को चैरा चैरा काण्ड के अमर सपूतों का, 27 को अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद, सरदार किशन सिंह व अन्य 6 साथियों तथा तीन अन्य का बलिदान विस मनाते है। मंजीत कौर ने बताया कि अप्रैल माह में हम लोग दो महापुरूषों का जन्म दिन व 55 लोगों का शहीद दिवस मनाते हैं। शहीद दिवस मनाने वालों में प्रमुख रूप से 13 को जलियावाला बाग नरसंहार, शहीद जोधा सिंह व उनके 51 साथियों तथा चार अन्य का निर्वाण दिवस प्रमुख है। मई माह में नौ लोगों का जन्म दिन ओर चैवालिस लोगों का बलिदान दिवस मनाया जाता है। जुन माह में 6 महापुरूषों क्रमश: तीन को शचीन्द नाथ सान्याल, चार को अमर शहीद राम प्रसाद विस्मिल, 23 को अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिणी 26 को बंकिम चन्द चटर्जी व तीन अन्य का जन्म दिने मनाते है। माह अगस्त में दस लोगों का बलिदान दिवस व दो लोगों का निर्वाण दिवस मनाया जाता है। सितम्बर माह में पांच लोगों का जन्म दिन व दो लोगों का बलिदान दिवस मनाया जाता है। बताया कि देशभक्तों व देश के शहीदों से प्यार है, लगाव है। इसलिये हम लोग उनके जन्म दिन व बलिदान दिवस पर श्रद्धापूर्वक मनाते है। इसके लिए हम लोगों को पंवारा से जौनपुर लगभग 12 किलोमीटर आना पड़ता है। आर्थिक तंगी के कारण हम लोग सात आठ लोग ट्रक पर बैठकर जौनपुर शहर आते है और क्रान्ति स्तंभ पर शहीदों व महापुरूषों का जन्म दिन व शहीद दिवस मनाकर पुनः ट्रक से पंरावा चले आते है। उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार की होड़ में आज के राजनेता शहीदों व महापुरूषों को तो भुला ही चुके हैं।
जौनपुर। शहीदों हम शर्मिन्दा हैं, तुझे भुलाकर जिन्दा है, का नारा देने वाली मंजीत कौर का कहना है कि हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के बैनर तले संस्था साल भर में 62 महापुरूषों का जन्म दिन और एक सौ नवासी महापुरूषों का बलिदान व निर्वाण दिवस मनाते हैं। जिले के मछलीशहर तहसील के पंवारा गांव की रहने वाली मंजीत कौर ने बताया कि जनवरी के महीने में हम लोग सात महापुरूषों क्रमश: 22 को अमर शहीद रोशन सिंह, 23 को नेताजी सुभाष चन्द बोस, 28 को लाल लाजपत राय, 30 को अमर शहीद मंगल पाण्डेय व तीन अन्य का जन्म दिन व चार अन्य का बलिदान दिवस मनाते है। इसी तरह फरवरी माह में जिन तीन महापुरूषों का जन्म दिन हम लोग मनाते हैं उनमें 11 को तिलका मांझी, 13 को सरोजनी नायडू, 23 को सन्त गाडगे है। इसके साथ ही 11 महान बलिदानियों क्रमश: 4 को चैरा चैरा काण्ड के अमर सपूतों का, 27 को अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद, सरदार किशन सिंह व अन्य 6 साथियों तथा तीन अन्य का बलिदान विस मनाते है। मंजीत कौर ने बताया कि अप्रैल माह में हम लोग दो महापुरूषों का जन्म दिन व 55 लोगों का शहीद दिवस मनाते हैं। शहीद दिवस मनाने वालों में प्रमुख रूप से 13 को जलियावाला बाग नरसंहार, शहीद जोधा सिंह व उनके 51 साथियों तथा चार अन्य का निर्वाण दिवस प्रमुख है। मई माह में नौ लोगों का जन्म दिन ओर चैवालिस लोगों का बलिदान दिवस मनाया जाता है। जुन माह में 6 महापुरूषों क्रमश: तीन को शचीन्द नाथ सान्याल, चार को अमर शहीद राम प्रसाद विस्मिल, 23 को अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिणी 26 को बंकिम चन्द चटर्जी व तीन अन्य का जन्म दिने मनाते है। माह अगस्त में दस लोगों का बलिदान दिवस व दो लोगों का निर्वाण दिवस मनाया जाता है। सितम्बर माह में पांच लोगों का जन्म दिन व दो लोगों का बलिदान दिवस मनाया जाता है। बताया कि देशभक्तों व देश के शहीदों से प्यार है, लगाव है। इसलिये हम लोग उनके जन्म दिन व बलिदान दिवस पर श्रद्धापूर्वक मनाते है। इसके लिए हम लोगों को पंवारा से जौनपुर लगभग 12 किलोमीटर आना पड़ता है। आर्थिक तंगी के कारण हम लोग सात आठ लोग ट्रक पर बैठकर जौनपुर शहर आते है और क्रान्ति स्तंभ पर शहीदों व महापुरूषों का जन्म दिन व शहीद दिवस मनाकर पुनः ट्रक से पंरावा चले आते है। उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार की होड़ में आज के राजनेता शहीदों व महापुरूषों को तो भुला ही चुके हैं।