सांस्कृतिक धरोहर कजली को संरक्षित रखने की है जिम्मेदारीः डॉ० अवस्थी

मिर्जापुर। देश में गाये जाने वाली गायन की विधा कजली की उत्पत्ति मिर्जापुर में होने से यह जिले की अपनी सांस्कृतिक धरोहर है। जिसके संरक्षण, संवर्धन और विस्तार की जिम्मेदारी हम सबकी है। यह बात नगर के नारघाट स्थित एक विद्यालय में संस्कार भारती की बैठक में वक्ताओं ने कहा।  ललित कलाओं के लिए समर्पित संस्कार भारती और लायंस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में भव्य कजली महोत्सव का आयोजन 10 अगस्त को किया गया है। यह जानकारी प्रांतीय कार्यवाहक अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ० गणेश प्रसाद अवस्थी ने दिया।
बैठक में डॉ० अवस्थी ने कहा कि तत्कालीन विंध्याचल मंडलायुक्त मनोज कुमार के कुशल निर्देशन में विंध्य महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसमें देश के नामी कलाकारों गिरजा देवी, किशन महाराज, राजन साजन, तीजन बाई, और मालिनी अवस्थी ने मंच से अपनी कला का उम्दा प्रदर्शन किया था द्य बदलते दौर में मीरजापुरी कजली देश के विभिन्न अंचलो में गायी जाती है। जिले की माटी से भीनी खुशबू से सराबोर गीत की मिठास से भावी पीढ़ी अनजान है। गांव - गांव और हर गलियों में गाया जाना वाला गीत आज अपने ही जन्मस्थली पर बेगाना बन गया है।
डॉ० सरिता त्रिपाठी ने कजली गायन के विभिन्न विधा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज की नयी पीढ़ी की जिम्मेदारी अपनी धरोहर को बचाये रखने के लिए बढ़ गयी है।
संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष आर० पी० ओझा ने कजली महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कार्यक्रम को भव्य रूप से मनाने के लिए जनपद के कलाकार और नयी पीढ़ी लगी है। इस वर्ष का महोत्सव नयी पीढ़ी में ऊर्जा का नव संचार करेगा। संस्था के उपाध्यक्ष संदर्भ पाण्डेय ने बताया कि कुछ वर्ष पहले तक कजली जिले के हर गांव चट्टी चैराहे पर गायी जाती थी। अपनी धरोहर को संजोये रखने की जिम्मेदारी अब हम युवाओं के कंधे पर है। कजली के साथ ही हम सबकी पहचान भी उसमें समाहित है। गायन की विधा  मिर्जापुरी कजली है तो हम सब भी मीरजापुरी है।
साहित्यकार सलिल पाण्डेय ने कहा कि सावन में प्रकृति जब सोलह श्रृंगार करती है तब धरा और अम्बर झूम उठता है। बादल उमड़ घुमड़ कर बरसते है। सावन को नाद महीना बताया कहा कि वेदों में भी कजली का उल्लेख मिलता है। अजीता श्रीवास्तव ने कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिए जनसहभागिता आवश्यक बताया। सचिव विंध्यवासिनी केसरवानी ने बताया कि कजली महोत्सव को भव्यता प्रदान करने के लिए देश के नामी कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। गोपाल जी ने कहा कि कार्यक्रम में नवोदित कलाकारों को भी अपनी धरोहर से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
बैठक में शंकर लाल सोनी, अरविन्द केसरवानी, देवी प्रसाद मौर्या, सुजीत वर्मा, कृष्णमोहन गोस्वामी. अनिल हंसमुख, बाबूलाल शर्मा, सौमित्र बाजपेयी, विनोद सिंह, शीतला प्रसाद उमर, कैलाश माहेश्वरी, शंकर प्रसाद, प्रमोद तिवारी, सुरेश मौर्या, अतुल मालवीय, राजकुमार पाहवा, नैन पाल, सोम कुमार शुक्ल एवं शिव कुमार मुंदड़ा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
बैठक की अध्यक्षता संस्थाध्यक्ष आर० पी० ओझा और संचालन विष्णु नारायण मालवीय ने किया।

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