हरितालिका तीज पर अखंड सुहाग के लिए महिलाएं 24 घंटे का रखेंगी व्रत
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मिर्जापुर। हरितालिका तीज पर्व पर सुहाग की लंबी आयु के लिए गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले 24 अगस्त से सुहागिनें 24 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। तीज पर्व को लेकर बुधवार से ही महिलाओं ने खरीदारी शुरू कर दी है। शहर के वासलीगंज, घंटाघर, खजांसी का चैराहा, बसनही बाजार से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों में फल, कपड़ा और पूजन सामग्री की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ देखी गई। अखंड सुहाग के लिए महिलाएं गुरुवार को तीज व्रत रखेंगी। हर वर्ष हरितालिका तीज भादों माह के तृतीय तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग के लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। व्रती महिलाएं दिन भर 24 घंटे निर्जला व्रत रख कर दूसरे दिन स्नान, पूजा के बाद व्रत का पारण करेंगी। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में तीज पर लगी दुकानों पर शंकर-पार्वती की मिट्टी से बनी मूर्ति, पूजन सामग्री, डोलची, श्रृंगार के सामान, रंग बिरंगी चूड़ियों की खरीदारी हो रही है। तीज व्रत को लेकर एक तरफ पूजन सामग्री की खरीदारी हो रही है वहीं साड़ी के दुकानों पर भी महिलाओं की भीड़ देखने को मिल रही है।
बालू का शिवलिंग बनाकर करती हैं पूजा - व्रती महिलाएं बालू का शिवलिंग बनाकर पूजा करती हैं। प्रदेश में हरितालिका तीज मनाने का अलग-अलग रिवाज है। इस क्षेत्रों में महिलाएं व्रत के दिन बालू का शिवलिंग बनाती हैं और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं बांस की डलिया में मौसमी फल, मिष्ठान, गुझिया आदि भगवान को अर्पित करती हैं। सुहाग के चिन्ह के रूप में व्रती महिलाएं सिंदूर, बिंदी, चूड़ी आदि भी चढ़ाती हैं। शाम के समय पंडित जी सुहागिन व्रतियों को कथा सुनाते हैं। रात भर जग कर व्रती महिलाएं भगवान शंकर और पार्वती का ध्यान करती हैं और सुबह नहा-धोकर पूजा करने के साथ ही पूजन सामग्री को बहते पानी में विर्सिजत करती हैं। दूसरे दिन सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसके बाद प्रसाद देकर व्रत का पारन करती हैं।
कब से हुई शुरुआत- इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने शादी से पहले शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। तभी से इस व्रत की बहुत मान्यता है। कहते हैं माता पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक तप किया था। उन्होंने ये व्रत बिना पानी पीये लगातार किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।
तीज की तैयारी में मेंहदी रचाई- पति की दीर्घायु की कामना में सुहागिन महिलाएं हाथों में मेंहदी रचाने में लगी हुई हैं। गुरुवार को तीज पर्व है जिसे लेकर महिलाओं में काफी उत्साह है। तीज व्रत में जल, अन्न का त्याग किया जाता है। कठिन तपस्या कर माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को प्राप्त किया था। महिलाएं भी भगवान शिव की आराधना, पूजन कर पति के दीर्घायु की कामना करती हैं।
बालू का शिवलिंग बनाकर करती हैं पूजा - व्रती महिलाएं बालू का शिवलिंग बनाकर पूजा करती हैं। प्रदेश में हरितालिका तीज मनाने का अलग-अलग रिवाज है। इस क्षेत्रों में महिलाएं व्रत के दिन बालू का शिवलिंग बनाती हैं और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं बांस की डलिया में मौसमी फल, मिष्ठान, गुझिया आदि भगवान को अर्पित करती हैं। सुहाग के चिन्ह के रूप में व्रती महिलाएं सिंदूर, बिंदी, चूड़ी आदि भी चढ़ाती हैं। शाम के समय पंडित जी सुहागिन व्रतियों को कथा सुनाते हैं। रात भर जग कर व्रती महिलाएं भगवान शंकर और पार्वती का ध्यान करती हैं और सुबह नहा-धोकर पूजा करने के साथ ही पूजन सामग्री को बहते पानी में विर्सिजत करती हैं। दूसरे दिन सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसके बाद प्रसाद देकर व्रत का पारन करती हैं।
कब से हुई शुरुआत- इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने शादी से पहले शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। तभी से इस व्रत की बहुत मान्यता है। कहते हैं माता पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक तप किया था। उन्होंने ये व्रत बिना पानी पीये लगातार किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।
तीज की तैयारी में मेंहदी रचाई- पति की दीर्घायु की कामना में सुहागिन महिलाएं हाथों में मेंहदी रचाने में लगी हुई हैं। गुरुवार को तीज पर्व है जिसे लेकर महिलाओं में काफी उत्साह है। तीज व्रत में जल, अन्न का त्याग किया जाता है। कठिन तपस्या कर माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को प्राप्त किया था। महिलाएं भी भगवान शिव की आराधना, पूजन कर पति के दीर्घायु की कामना करती हैं।