बाल श्रम की उड़ाई जा रही धज्जियां
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जौनपुर। बाल श्रम दिवस पर जनपद के हर चैराहे कस्बो में इस समय बाल श्रम अधिनियम कानून की धज्जियां उडाई जा रही है बाल श्रमिको के शोषण के बचाव हेतु बना बाल श्रम अधिनियम कानून बेमानी शाबित हो रहा है यही नही सरकार द्धारा स्कूल चलो व सर्व शिक्षा अभियान भी इन मासूूम बच्चो को जागरुकता लाने मे नकामयाब सबित हो रहा हैं। ज्ञात हो कि जनपद में बालश्रम अधिनियम कानून का मखौल उडाया जा रहा है और इससे संबंधित अधिकारी मौन साध कर बाल मजदूरों के भविष्य को बर्बादी के रास्ते पर ले जाने की राह पर उन्हे ढकेलने का कार्य कर रहे है अगर सख्ती के साथ जनपद में इस मामले में अधिकारी संज्ञान ले ले तो निश्चित ही तमाम मासूमो की काम के रूप में उनकी बलि न चढ सके और रईसजादो की तहर वह भी शिक्षा की ओर बढ कर आने व अपने परिवार का नाम रौशन करे लेकिन इसके लिए अधिकारी अपने फर्ज के प्रति सजग होगें तभी ऐसा सम्भव हो पायेगा। जनपद में सैकडो मासूम बच्चे दिन रात बालश्रम कर सर्व शिक्षा अभियान एव् स्कूल चलो अभियान से अंजान है इनका मासूम बचपन कूडे के ढेरो मे गंदी पालिथीन बीनने मे व्यतीत हो रहा है या फिर ये बच्चे गाड़ियों या अन्य जगहो पर भीख मगते देखे जा सकते है इन मासूमो के कपडो से बदबू केवल यह साबित करती है कि इन्हे संक्रमित बीमारियो के बारे मे ज्ञान नही है अपने से दो गुने वजन का बोझ उठाये इस तरह के तमाम बच्चे गंन्दगी के ढेर के किनारे अपना स्वर्णिम भविष्य ढूढते आसानी से दिखायी पड़ रहे है। आश्चार्य तो इस बात पर होता है कि मासूमो पर श्रम विभाग के अधिकारियों कि नजर जाती है जो इनके उत्थान के लिऐ रात-दिन एक किये हुए है। सरकार जहाॅ शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए करोडो रुपये पानी की तरह बहा कर गाॅवो से अशिक्षा का ग्राफ गिराकर शिक्षा के ग्राफ को बढाने के लिये कृत संकल्प दिखाई देती है वही इस तरह के मासूमो को देखने के बाद यह कहना लाजिमी हो जाता है कि सरकार के इस महत्व पूर्ण योजनाओ पर उन के ही अधिकारियो एव कर्मचारियो ने ईमानदारी से कार्य नही किया है। विदित हो कि इस दुर्गंध भरे वातावरण के चलते ये मासूम संक्रमण रोगो की चपेट मे बडी आसानी से आ जाते है और संक्रमित होते हुए भी ये बच्चे दो रोटी की लालच मे यह घिनौना कार्य नही बंद करते है धीरे धीरे चिकित्सा के आभाव मे शरीर बिलकुल पीला हो जाता है तथा रक्त अल्पता के कारण अशमय काल कौलित हो जाते है। भारत मे बच्चो की मुत्यू दर मे बढोत्री का सबसे बडा कारण कुपोषण है। और कुपोेेेषण के कारण दुध मुहे बच्चे तथा शैशव अवस्था के बालकों पर इसका प्रभाव बहुत जल्द होता है, कोमल शरीर तथा रोगो से लड़ने की प्रतीरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है और इसका खामियाजा नौनीहालो को अपनी जान देेकर अदा करना पड रहा है। बाल श्रम अधिनियम कानून की धज्जियां जनपद मुख्यालय से लेकर तहसीलों के बाजारों सहित पूरे जनपद के अधिकतर ईट भट्टों, होटलोे, ढाबों, रेस्टोरेंटो, के साथ साथ ब्रेकरी पर भी उडाई जा रही है तमाम दुकानदार मासूम बच्चो को नौकर के रूप मे रखकर बाल श्राम की धज्जिया उड़ा रहे है।