छोटे सिलेण्डरों से चल रहा बड़े मुनाफे का धन्धा
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जौनपुर। गैस रीफिलिंग को लेकर प्रशासन मौन है। जिला मुख्यालय से लेकर गांव तक इस अवैध धंधे ने अपनी पैठ बना रखी है। दुकानदार खुलेआम छोटे सिलिंडरों का धंधा कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। कस्बों के चैराहे से लेकर बाजार तक दर्जनों रसोई गैस की दुकानें खुली हैं। यहां गैस की रीफि¨लग के साथ सिलिंडर की कालाबाजारी की जा रही है। दुकानों पर दो किलो से लेकर 5 किलो तक के सिलिंडर में गैस रीफिलिग की जा रही है, वहीं अवैध रूप से इन दुकानों से रसोई गैस के सि¨लडर भी जरूरतमंदों को मिल जाते हैं। यह सारा काम गैस चूल्हा सही करने की आड़ में चल रहा है। सब कुछ जानकार भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ रहे हैं। इस धन्धे से विस्फोट होने का खतरा भी मड़राता रहता है। गैस रीफिलिग करना दंडनीय अपराध है। सरकार की ओर से इस पर रोक तो लगाई गई, लेकिन धरातल पर यह कारोबार जोरों पर है। बिना किसी रोक टोक के दुकानदार यह अवैध धंधा कर रहे हैं। जनपद में तकरीबन 150 दुकानों में खुलेआम गैस रीफिलिग की जा रही है। छोटे से लेकर बड़े सिलिंडर दोनों में ही लोग दुकानों में जाकर गैस रीफिलिग करा रहे हैं। प्रशासन रोकथाम के नाम पर बस खानापूरी ही करता है। सभी इस बात से अनभिज्ञ है कि यह छोटे दिखने वाले सिलिंडर एक बम है जो कई लोगों की जान ले सकता है। ठेले लगाने वाले व समोसे, चाट लगाने वालों की तादाद अधिक है उनका कहना है कि 60 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गैस छोटे व बड़े सिलेंडर में भरवाते हैं। आराम से दाल रोटी चल रही है। गैस बुक करवाने कर समय पर सिलेंडर आता नहीं है। ऐसे में धंधा भी प्रभावित होता है। मजबूरी है गैस रीफिलिग करवाना। अगर सरकार समय से सिलेंडर मुहैया कराने को निर्देशित कर दे तो इस अवैध करोबार पर अंकुश लग सकता है।