शाहगंज कोतवाली बनी कठपुतली, अपनी मर्जी से चलाना चाह रहे भाजपा नेता
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जौनपुर।
शाहगंज कोतवाली पर पिछली सपा सरकार में विपक्षी आरोप लगाते रहे कि कोतवाली
थाना व पुलिस चौकी सत्ता पक्ष के नेता चलाते हैं। यहां तक कि इनको सपा
कार्यालय तक की संज्ञा दे दी गयी थी। अब सरकार बदल गयी है। आरोप-प्रत्यारोप
लगाने वाले सरकार में आ चुके हैं। अब मामला फिर उल्टा हो गया है। अब फिर
विपक्ष के लोग सत्ता पक्ष पर ठीक वही आरोप लगा रहे हैं। कुछ हद तक देखा जाय
तो दोनों पक्षों का आरोप एकदम दमदार है। चाहे सपा सरकार रही हो या भाजपा
की। नेताओं ने वही किया जो उन्हें पसंद है। पहले अखिलेश के नेताओं की चांदी
थी और अब योगी के नेता चांदी कूट रहे हैं। ताजा व सनसनीखेज मामला शाहगंज
कोतवाली पुलिस से जुड़ा है। एक तथाकथित छुटभैये नेता ने एक एसआई को यहां तक
कह दिया कि आप मेरे क्षेत्र में बगैर मुझसे पूछे नहीं जायेंगे। जब उक्त
दरोगा ने कहा कि मैं अपनी ड्यूटी से समझौता नहीं करुंगा तो इशारों ही
इशारों में अंजाम भुगतने का इशारा भी कर दिया। यक्ष प्रश्न यह है कि यदि
कानून व्यवस्था गड़बड़ाई तो कौन जिम्मेदार होगा। नेता जी या दरोगा जी। अभी
हाल में ही एक व्यवसायी सड़क हादसे में गम्भीर रूप से घायल हो गये। आनन-फानन
में राजकीय चिकित्सालय लाया गया जहां चिकित्सकों ने पूरे दम के साथ इलाज
शुरू किया। इसी दौरान एक भाजपा नेता पहुंच गये। अब भीड़ पर रुआब कैसे बनाया
जाय। तभी दन्न से फोन निकाला व कोतवाल को आदेशात्मक लहजे में तुरंत
चिकित्सालय पहुंचने का फरमान दे डाला। मौके पर मौजूद लोग सोचते रहे कि घायल
का क्या भला कोतवाल क्या भला करेंगे। यह महज बानगी है नेताओं की। ऐसे
ढेरों किस्से कहानी सरकार बनने के बाद स्थानीय स्तर पर देखा जा रहा है।
जहां कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री गम्भीर हैं। वहीं उनके नेता अपने
कारनामों से बाज नहीं आ रहे। यही आलम रहा तो पालिका चुनाव में पार्टी को
मुंह की खानी पड़ सकती हैं।