तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा लाल, पिता ने दी शहीद बेटे को मुखाग्नि

भदोही। वतन के खातिर भदोही का एक 22 वर्षीय साल शहीद हो गया। शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही उसके पैतृक गांव पहुंचा लोगों का हुजुम उमड़ पड़ा। क्या धर्म और क्या जाति सारे बंधनों को तोड़ते हुए अपने जिले के इस बहादुर सपूत के अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। दरअसल, भदोही जिले के बैरा खास गांव के एसटीएफ जवान सुलभ उपाध्याय छत्तीसगढ़ के रायपुर में रविवार को नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। सोमवार की शाम सेना का हेलीकाप्टर उनका पार्थिव शरीर लेकर ज्ञानपुर पुलिस लाइन पहुंचा।
 यहां सांसद वीरेंद्र सिंह, जिलाधिकारी विशाख और पुलिस अधीक्षक सचिंद्र पटेल के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग और दूसरे लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की  और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पुलिस लाइन के बाद अंतिम दर्शन के बाद शहीद का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया। जहां शहीद बेटे का शव देखते ही कोहराम मच गया।
रामपुर गंगा घाट में शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। पिता अशोक उपाध्याय ने हजारों की भीड़ और गूंजते गगन भेदी नारे के बीच नम आंखों से जिगर के टुकड़े को मुखाग्नि दी। इस दौरान गंगा घाट पर शहीद बेटे के अंतिम दर्शन के लिए पूरा जनपद उमड़ पड़ा। भीड़ से गगनभेदी नारे लग रहे थे जब तक सूरज चांद रहेगा, सुलभ तेरा नाम रहेगा।
सांसद वीरेंद्र सिंह ने अपनी शोक संवेदना प्रगट करते हुए कहा कि सुलभ का बलिदान बेकार नहीं जाएगा।  देश और भदोही जिले को ऐसे सपूत पर नाज है। जवान की यह शहादत बेकार नहीं जाएगी।  इस दौरान जिलाधिकारी ने शहीद के परिवार को शासन की तरफ से 20 लाख रुपए की राशि देने भरोसा दिलाया है।
सुलभ का सोमवार को शगुन आने वाला था। लेकिन विधाता को यह मंजूर नहीं था।  जिले के बैराखास गांव में जवान का पार्थिव शरीर पहुंचते ही कोहराम मच गया। अभी एक सप्ताह पूर्व घर में आयोजित शादी समारोह में सुलभ आए थे। रात में भी परिजनों से बातचीत हुई है। वह तीन भाई और दो बहन में से एक थे।

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