प्रसूताओं और नवजातों की नहीं थम रहीं मौतें

जौनपुर। जननी सुरक्षा योजना में लाखों खर्च के बाद भी लापरवाही से प्रसूताओं व नवजातों की मौतों पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। जनवरी से अब तक जिले में एक दर्जन प्रसूताओं व आधा दर्जन नवजातों की लापरवाही के चलते जान चली गई। अधिकांश आशाओं के निजी अस्पतालों के एजेंट के रूप में काम करने तथा लापरवाही पर जिम्मेदारों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होने से सुधार नहीं हो रहा है। वहीं विभागीय कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा है। मातृएवं शिश मृत्यु दर रोकने के लिए शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना पर प्रति माह लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके तहत गर्भवती के टीकाकरण के साथ ही उसकी बराबर जांच किए जाने का प्रावधान है। साथ ही घरेलू प्रसव के बजाय संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने पर बड़े पैमाने पर खर्च हो रहा है। इतना ही नहीं एएनएम व आशाओं को शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराने की जिम्मेदारी भी दी गई है। बावजूद इसके जहां सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं की मौतें हो रही हैं। वहीं अधिकांश आशाओं के निजी अस्पतालों में कमीशन एजेंट के रूप में काम करने से प्रसूताओं के परिजनों की जेब कट रही है। 

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