धर्मगुरु कल्बे सादिक के खिलाफ मुकदमा
https://www.shirazehind.com/2017/05/blog-post_606.html
जौनपुर। जिले की एक अदालत मे शिया धर्मगुरु एवं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉक्टर कल्बे सादिक के खिलाफ मोहम्मद जावेद अख्तर ने परिवाद दायर किया है। प्रभारी एसीजेएम द्वितीय यजुवेंद्र विक्रम सिंह ने परिवाद को बतौर मिसलेनियस दर्ज करते हुए सुनवाई के लिए 19 मई तिथि नियत किया । लाइन बाजार थाना क्षेत्र के पचहटिया निवासी मोहम्मद जावेद अख्तर ने कोर्ट में परिवाद किया कि 11 अप्रैल 2017 को सुबह जब उसने चाय की एक दुकान पर रखा उस दिन का अखबार पढ़ा तो उसमें पेज 8 पर ’डॉक्टर कल्बे सादिक का वक्तव्य छपा था। खबर के बीच में यह वक्तव्य था कि दुनिया में जितनी भी बड़ी मस्जिदें हैं वह वलियों या सूफी संतों ने नहीं बनाई। उन्हें डिक्टेटर्स ने अपने अपराध को छिपाने के लिए बनाया। परिवादी का कहना है कि उक्त वक्तव्य को पढ़कर उसकी व वहां मौजूद अन्य लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई एवं मानसिक कष्ट व क्षोभ हुआ। इसके अलावा ऐसे वक्तव्य से देश व समाज में धार्मिक वैमनस्य, घृणा व क्षोभ पैदा होने की स्थिति उत्पन्न हुई ।सच तो यह है कि जितनी मस्जिदें बनाई गई हैं वह महान लोगों द्वारा बनाई गई हैं जिनकी मुस्लिम संप्रदाय के लोग इबादत करते हैं एवं सम्मान देते हैं। ऐसे महान मुस्लिम लोगों को तानाशाह व अपराध छिपाने वाला यानी अपराधी से तुलना जैसे शब्दों का डॉक्टर कल्बे सादिक द्वारा प्रयोग करने से वर्गों में शत्रुता व वैमनस्य की भावना पैदा हुई एवं परिवादी की भावनाएं आहत हुई। परिवादी ने डॉक्टर कल्बे सादिक को तलब कर दंडित करने की प्रार्थना कोर्ट से किया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 19 मई तिथि नियत किया।
तो इसमें कल्बे सादिक ने क्या गलतबयानी की है।
जवाब देंहटाएंसच को सच कहना कोई अपराध तो होता नहीं होता है।
रही बात इस वकील की, जिसने 10 अप्रैल को दिया गया सादिक साहब केे बयान की कोई जानकारी तक नहीं थी। उसे खबर तब मिली, जब वह चाय की दूकान में बैठा मटरगश्ती कर रहा था। कामधाम तो होता नहीं है ऐसे लोगों के पास, इसलिए मटरगश्ती ही करते रहते हैं। और खुद को वकील कहलाते हैं। कोई केस नहीं मिला, तो सादिक जी पर चढ़ बैठे।
कुमार सौवीर
लखनऊ