तमगा लेने में होशियार है जौनपुर पुलिस
https://www.shirazehind.com/2017/05/blog-post_510.html?m=0
कलमकार की फेहरिस्त में पत्रकार और अधिवक्ताओं को भी पीछे छोड़ा
गौरव उपाध्याय
जौनपुर। वाह-वाही बटोरनी हो तो जौनपुर पुलिस ने सबक लिजिए जनाब। कंधे पर स्टार और अपना ओहदा बढ़ाने के लिए किसी स्तर पर गुजरने के लिए यह बेताब हैं। मनमाने तरीके से अपना झूठ छिपाने के नायाब तरीके इनके पास हैं। कलमकार के मामले में यह तो पत्रकार और अधिवक्ताओं से अधिक निपुण हैं। सच की सारी मर्यादाएं लांघकर अपनी उन्नति और विकास में मशगूल रहना जनाबों की फितरत में शुमार हो चला है।
जौनपुर पुलिस पर तंज ऐसे ही नहीं कसा जा रहा। बानगी सामने है। जीवन संगिनी पर एसिड अटैक का मामला शनिवार की दोपहर हुआ। वह भी केराकत तहसील के अधिवक्ता सभागार में सबके सामने। वारदात को अंजाम देकर भाग रहे आरोपी पति को अधिवक्ताओं और आम नागरिकों ने तहसील गेट के सामने से ही दबोच लिया। संगीन वारदात के नाते खुन्नस खाए लोगों ने आरोपी की दैहिक समीक्षा कर दी। पीटते हुए कोतवाली परिसर तक ले गए और पुलिस के सिपुर्द कर दिया। दिनदहाड़े हुई इस वारदात के कई चश्मदीद गवाह बने। अब गेंद पुलिस के पाले में थी, अपनी पीठ थपथपाने के मामले में। अपनी जनरल डायरी (जीडी) की लकीरें अपनी शाबाशी मनगढ़ंत तरीके से खिंचने लगीं। सूत्रों के अनुसार आरोपी पति मोहन विश्वकर्मा निवासी अमिलियां थाना चंदवक के लिए मुखबिरी हुई। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सिद्धार्थ मिश्र मय फोर्स सहित रविवार की सुबह तकरीबन 8 बजे गश्त पर थे। खबर से सकते में आए कोतवाल अपने हमराहियों के साथ बताई गई जगह सरायबीरू चौराहे पर घेराबंदी करने लगे। तथाकथित दलील के मुताबिक आरोपी कहीं बाहर भागने की फिराक में था। पुलिस को देख वह भागने लगा। कुछ दूर पीछा किया गया और आरोपित पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पीडि़त पत्नी की मां मीरा देवी की तहरीर पर पुलिस शनिवार को ही मुकदमा दर्ज कर चुकी थी। आरोपी पति को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 326 (ए) में निरुद्ध किया गया था।
इसी को कहते हैं हुनर। आरोपित पति को दिनदहाड़े पकडऩा और पुलिस के सिपुर्द करना की कहानी पुलिस को रास नहीं आई। इसलिए जनरल डायरी में कुछ और ही दर्ज किया गया। यह को महज एक मिसाल है। कई कारगुजारियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।
गौरव उपाध्याय
जौनपुर। वाह-वाही बटोरनी हो तो जौनपुर पुलिस ने सबक लिजिए जनाब। कंधे पर स्टार और अपना ओहदा बढ़ाने के लिए किसी स्तर पर गुजरने के लिए यह बेताब हैं। मनमाने तरीके से अपना झूठ छिपाने के नायाब तरीके इनके पास हैं। कलमकार के मामले में यह तो पत्रकार और अधिवक्ताओं से अधिक निपुण हैं। सच की सारी मर्यादाएं लांघकर अपनी उन्नति और विकास में मशगूल रहना जनाबों की फितरत में शुमार हो चला है।
जौनपुर पुलिस पर तंज ऐसे ही नहीं कसा जा रहा। बानगी सामने है। जीवन संगिनी पर एसिड अटैक का मामला शनिवार की दोपहर हुआ। वह भी केराकत तहसील के अधिवक्ता सभागार में सबके सामने। वारदात को अंजाम देकर भाग रहे आरोपी पति को अधिवक्ताओं और आम नागरिकों ने तहसील गेट के सामने से ही दबोच लिया। संगीन वारदात के नाते खुन्नस खाए लोगों ने आरोपी की दैहिक समीक्षा कर दी। पीटते हुए कोतवाली परिसर तक ले गए और पुलिस के सिपुर्द कर दिया। दिनदहाड़े हुई इस वारदात के कई चश्मदीद गवाह बने। अब गेंद पुलिस के पाले में थी, अपनी पीठ थपथपाने के मामले में। अपनी जनरल डायरी (जीडी) की लकीरें अपनी शाबाशी मनगढ़ंत तरीके से खिंचने लगीं। सूत्रों के अनुसार आरोपी पति मोहन विश्वकर्मा निवासी अमिलियां थाना चंदवक के लिए मुखबिरी हुई। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सिद्धार्थ मिश्र मय फोर्स सहित रविवार की सुबह तकरीबन 8 बजे गश्त पर थे। खबर से सकते में आए कोतवाल अपने हमराहियों के साथ बताई गई जगह सरायबीरू चौराहे पर घेराबंदी करने लगे। तथाकथित दलील के मुताबिक आरोपी कहीं बाहर भागने की फिराक में था। पुलिस को देख वह भागने लगा। कुछ दूर पीछा किया गया और आरोपित पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पीडि़त पत्नी की मां मीरा देवी की तहरीर पर पुलिस शनिवार को ही मुकदमा दर्ज कर चुकी थी। आरोपी पति को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 326 (ए) में निरुद्ध किया गया था।
इसी को कहते हैं हुनर। आरोपित पति को दिनदहाड़े पकडऩा और पुलिस के सिपुर्द करना की कहानी पुलिस को रास नहीं आई। इसलिए जनरल डायरी में कुछ और ही दर्ज किया गया। यह को महज एक मिसाल है। कई कारगुजारियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।