कमजोर हो गयी बीट, विवादों से अंजान रहती है पुलिस
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जौनपुर। जिले में अपराध, अपराधियों, पारिवारिक व सामाजिक झगड़ों की जानकारी रखने के लिए पुलिस ने इलाके में बीट बांट रखी है। इस बीट क्षेत्र पर एक सिपाही की तैनाती होती है। ताकि कोई बड़ी घटना होने से पहले ही पुलिस प्रबंध किए जा सकें। बीट क्षेत्र में तैनात उस सिपाही की जिम्मेदारी होती है कि क्षेत्र की गतिविधियों को बीट पुस्तिका में दर्ज करे। ताकि उसका तबादला होने के बाद भी दूसरे सिपाही व महकमे के अधिकारियों को उस क्षेत्र की जानकारी हो सके। आधुनिक सिपाही सिघम स्टाइल में मुख्य जिम्मेदारी बीट रिपोर्ट दर्ज करना भूल गए हैं। यही कारण है कि बड़ी से बड़ी घटनाओं की जानकारी पुलिस को उनके घटने के बाद होती है। जिले में हो रहे छोटे-छोटे विवाद बढ़कर हत्या जैसे जघन्य अपराधों का रूप ले रहे हैं। छह महीनों में हुई हत्याओं का आंकड़ा देखा जाए तो अधिकतर हत्याएं जमीन व धन दौलत के कारण हुई है। हत्या जैसी घटनाएं तत्काल नहीं होती है। काफी दिन विवाद के बाद लोग इस कदम को उठाते है। चैकाने वाली बात है कि इन विवादों की जानकारी बीट के प्रभारी व बीट के सिपाहियों को नहीं रहती है। बीट सिपाही अपने-अपने क्षेत्र में जाकर कहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी ही नहीं करते। सिर्फ कमाई के चक्कर में पड़े रहते है। महकमे के अधिकारी भी बीट के प्रति उदासीन है। बीट सिपाही एक स्थान पर बैठ कर लोगों से क्षेत्र के विषय में जानकारी कर खानापूरी कर लेते है। दर असल कोतवाली व थानाक्षेत्र के गांवों को अलग-अलग बांट दिया जाता है। उप निरीक्षक को बीट प्रभारी की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके बाद सिपाहियों को अलग-अलग क्षेत्र बांट दिए जाते है। उन सिपाहियों को अपने-अपने क्षेत्र की सभी जानकारी एकत्रित कर बीट प्रभारी को अवगत कराना होता है। गांव में किस व्यक्ति का किससे झगड़ा चल रहा है। कितने जमीनी विवाद है, कौन व्यक्ति इस प्रकार का है। बीट के सिपाही को अपने क्षेत्र में हो रही हर गतिविधियों पर नजर रखनी होती है। अगर कहीं पर कुछ विवाद होने की आशंका है तो वह बीट प्रभारी को अवगत कराएगा। बीट प्रभारी थाना प्रभारी को विवाद की जानकारी देगा।