राजा को रंक बनाने के लिए बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ा सरकारी कागज
https://www.shirazehind.com/2017/05/blog-post_428.html
जौनपुर। अभी तक प्रभावशाली लोेग ही राजा से रंक और रंक से राजा बनाते रहे है। लेकिन जौनपुर में एक अदने से बाबू ने ही अपने प्रबंधक की कुर्शी हिला दिया है। यह कारनामा उसने अपने करीबी रिश्तेदार व केन्द्र सरकार के मंत्री के रसूख पर कर दिखायी है। मामला है चंदवक थाना क्षेत्र के आजादी से पूर्व स्थापित राष्ट्रीय विद्या मंदिर का।
राष्ट्रीय विद्या मंदिर के प्रबंधक श्याम बहादुर सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि मेरे विद्यालय में तैनात लिपिक वेगैर किसी सूचना के चार माह से विद्यालय नही आ रहे थे। मैने उनका वेतन रोकने का आदेश दे दिया था। वेतन रोके जाने से तिलमिलाये बाबू ने केन्द्र सरकार के एक मंत्री का रिश्तेदार होने का लाभ लेते हुए अपना वेतन तो ले ही लिया साथ में मेरे विरोधियो से मिलकर दो वर्ष पूर्व न्यायालय में चल रहे प्रबंधन मामले में पेच अटका दिया । इस बाबू ने अपने केन्द्रीय मंत्री रिश्तेदार के बदौलत प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री को दबाव लेकर वाराणसी मण्डल के संयुक्त शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर को एक चिठ्ठी जारी कराकर दोनो अधिकारियो को अपने दबाव में ले लिया। यही दबाव के कारण अधिकारियो ने पिछले दो वर्षो से हाईकोर्ट में चल रहे प्रबंधकीय विवाद को गौर करने के बजाय लिपिक के मनमाफिक कार्य कीे रफ्तार बढ़ा दिया।
अब यह मुख्यमंत्री के सोचने लायक बात आती है कि उनके ही मंत्री ने किस दबाब मेें चिठ्ठी लिखी। चिठ्ठी को पतवार बनाकर एक ही दिन में कार्यवाही की रफ्तार बुलेट टेªन की तरह चल पड़ी। नतीजा हुआ कि 300 किलोमीटर की दूरी तय करके लखनऊ से वाराणसी आदेश पहुंचा उसके बाद 60 किलोमीटर की दूरी तय करके जौनपुर पहुंचा। दूसरे दिन डीआईओएस ने अनुपालन आदेश जारी करा दिया । एक दिन में सरकारी काम को अमली जामा पहनाने को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म हो गया है। लोग यह कहने लगे है कि इतनी तेजी में पैसा काम आया या मंत्री का दबाव। कानून की जानकारो की माने तो इसमें मंत्री और अधिकारियो की गर्दन नपनी तय है।
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राष्ट्रीय विद्या मंदिर के प्रबंधक श्याम बहादुर सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि मेरे विद्यालय में तैनात लिपिक वेगैर किसी सूचना के चार माह से विद्यालय नही आ रहे थे। मैने उनका वेतन रोकने का आदेश दे दिया था। वेतन रोके जाने से तिलमिलाये बाबू ने केन्द्र सरकार के एक मंत्री का रिश्तेदार होने का लाभ लेते हुए अपना वेतन तो ले ही लिया साथ में मेरे विरोधियो से मिलकर दो वर्ष पूर्व न्यायालय में चल रहे प्रबंधन मामले में पेच अटका दिया । इस बाबू ने अपने केन्द्रीय मंत्री रिश्तेदार के बदौलत प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री को दबाव लेकर वाराणसी मण्डल के संयुक्त शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर को एक चिठ्ठी जारी कराकर दोनो अधिकारियो को अपने दबाव में ले लिया। यही दबाव के कारण अधिकारियो ने पिछले दो वर्षो से हाईकोर्ट में चल रहे प्रबंधकीय विवाद को गौर करने के बजाय लिपिक के मनमाफिक कार्य कीे रफ्तार बढ़ा दिया।
अब यह मुख्यमंत्री के सोचने लायक बात आती है कि उनके ही मंत्री ने किस दबाब मेें चिठ्ठी लिखी। चिठ्ठी को पतवार बनाकर एक ही दिन में कार्यवाही की रफ्तार बुलेट टेªन की तरह चल पड़ी। नतीजा हुआ कि 300 किलोमीटर की दूरी तय करके लखनऊ से वाराणसी आदेश पहुंचा उसके बाद 60 किलोमीटर की दूरी तय करके जौनपुर पहुंचा। दूसरे दिन डीआईओएस ने अनुपालन आदेश जारी करा दिया । एक दिन में सरकारी काम को अमली जामा पहनाने को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म हो गया है। लोग यह कहने लगे है कि इतनी तेजी में पैसा काम आया या मंत्री का दबाव। कानून की जानकारो की माने तो इसमें मंत्री और अधिकारियो की गर्दन नपनी तय है।
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