गर्मी में शरीर को तरावट पहुंचा रही खादी
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जौनपुर। भीषण गर्मी में खादी शरीर को राहत दे रही है। खादी की डिमांड ने अन्य किस्म के कपड़ों को पीछे छोड़ दिया है। गांधी खादी आश्रम पर ग्राहकों की बढ़ती संख्या इसकी गवाही दे रही है। अप्रैल-मई में खादी की खरीद पर अब तक 20 फीसद तक का इजाफा हुआ है। खादी की किस्मों में सबसे महंगी कोसा सिल्क खादी और सबसे सस्ती पोली खादी है।
शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में खादी पहली पसंद बनी हुई है। युवाओं में खादी के प्रति क्रेज ज्यादा बढ़ा है। युवाओं को लंबे कुर्तों के मुकाबले शार्ट और डिजाइन दार कुर्ते पसंद आ रहे हैं। सबसे ज्यादा मांग मोदी और योगी कट हाफ कुर्तों की है। रंगों में सफेद, आसमानी और भगवा कलर की ज्यादा खरीददारी हो रही है। पिछले तीन महीनों से केसरिया कलर की खादी और उसके बने कुर्तों की मांग में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। इस वक्त केसरिया रंग के कुछ चुनिदा थान ही शेष बचे हुए हैं। ऊपर मांग की गई है। यूं तो खादी में किस्में और भी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मांग सूती खादी की है। जबकि उम्रदराज नौकरी पेशा लोगों की पसंद सोवर कलर की खादी है। इस तपते मौसम में सूती और खादी से ज्यादा शरीर के लिए आरामदायक कुछ नहीं है। कुर्ता वैसे भी भारतीय परिधान है। अब तो बाजार में हम युवाओं के लिए खादी के डिजाइन कपड़ों की कोई कमी नहीं है। परमानतपुर के अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि इस वक्त जो मजा खादी के कपड़ों में है, वह कपड़ों की अन्य किस्मों में नहीं है। खादी की खरीद के लिए अन्य दुकानों के मुकाबले शहर के लोगों की पहली पसंद खादी ग्रामोद्योग की दुकान है। खादी आश्रमों में रेडीमेड से ज्यादा थानके कपड़ों की अलग मांग हैं। लोगों का मानना है कि रेडीमेट की अपेक्षा थान से कपड़ा कटवाकर आसानी से बेहतर सिलवाया जा सकता है। हालांकि कुछ नए लड़कों की पहली पसंद रेडीमेड खादी के पैंट शर्ट हैं। उनका मानना है कि इससे पूरी तरह समय बचता है।गमछा मतलब अंगौछा की रिकार्ड बिक्री दर्ज की जा रही है। गांव से लेकर शहर तक कपड़े की दुकानों पर लोग रंग और कीमत के हिसाब से गमछे खरीद रहे हैं। गमछों में भी केसरिया रंग का क्रेज खूब देखने को मिल रहा है।
शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में खादी पहली पसंद बनी हुई है। युवाओं में खादी के प्रति क्रेज ज्यादा बढ़ा है। युवाओं को लंबे कुर्तों के मुकाबले शार्ट और डिजाइन दार कुर्ते पसंद आ रहे हैं। सबसे ज्यादा मांग मोदी और योगी कट हाफ कुर्तों की है। रंगों में सफेद, आसमानी और भगवा कलर की ज्यादा खरीददारी हो रही है। पिछले तीन महीनों से केसरिया कलर की खादी और उसके बने कुर्तों की मांग में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। इस वक्त केसरिया रंग के कुछ चुनिदा थान ही शेष बचे हुए हैं। ऊपर मांग की गई है। यूं तो खादी में किस्में और भी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मांग सूती खादी की है। जबकि उम्रदराज नौकरी पेशा लोगों की पसंद सोवर कलर की खादी है। इस तपते मौसम में सूती और खादी से ज्यादा शरीर के लिए आरामदायक कुछ नहीं है। कुर्ता वैसे भी भारतीय परिधान है। अब तो बाजार में हम युवाओं के लिए खादी के डिजाइन कपड़ों की कोई कमी नहीं है। परमानतपुर के अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि इस वक्त जो मजा खादी के कपड़ों में है, वह कपड़ों की अन्य किस्मों में नहीं है। खादी की खरीद के लिए अन्य दुकानों के मुकाबले शहर के लोगों की पहली पसंद खादी ग्रामोद्योग की दुकान है। खादी आश्रमों में रेडीमेड से ज्यादा थानके कपड़ों की अलग मांग हैं। लोगों का मानना है कि रेडीमेट की अपेक्षा थान से कपड़ा कटवाकर आसानी से बेहतर सिलवाया जा सकता है। हालांकि कुछ नए लड़कों की पहली पसंद रेडीमेड खादी के पैंट शर्ट हैं। उनका मानना है कि इससे पूरी तरह समय बचता है।गमछा मतलब अंगौछा की रिकार्ड बिक्री दर्ज की जा रही है। गांव से लेकर शहर तक कपड़े की दुकानों पर लोग रंग और कीमत के हिसाब से गमछे खरीद रहे हैं। गमछों में भी केसरिया रंग का क्रेज खूब देखने को मिल रहा है।