जौनपुर में भूजल दोहन से बन रहे लखपति
स्वच्छ व स्वस्थ पेयजल की आस में बड़े बड़े जारों में भर पानी को घर घर आफिस आफिस व शादी विवाह समारोहों में भेजा जा रहा है। उक्त जारों में भरा जल ऐसे ही कुकुरमुत्तो की तरह उग आए मिनरल प्लांटों से सप्लाई की जाती है। कम लागत में आसानी से ठंडा पानी मिल जाने से भूजल दोहन चरम पर है। खाद्य विभाग भी इसे नजरअंदाज कर रहा है। वहीं कम लागत में अच्छी कमाई वाला यह धंधा चोखा साबित हो रहा है। यही कारण है कि जनपद के गली मोहल्ले तक में ऐसे प्लांट की भरमार हो चुकी है। शहर से लगाया ग्रामीण इलाकों तक ये पैर पसार चुके हैं। बताते हैं कि एक लीटर मिनरल वाटर बनाने के लिए लगभग पांच लीटर पानी बर्बाद करना पड़ता है। 20 लीटर गैलन समेत पाउच में भी पानी पैक कर बेचा जा रहा है। जबकि कोर्ट व सरकार दोनों ने ही पॉलिथिन बैन कर रखा है। अकेले शाहगंज व आसपास एक दर्जन से अधिक प्लांट बगैर लाइसेंस के भूजल दोहन धडल्ले से कर रहे हैं। एक एक प्लांट लगभग पांच हजार लीटर पानी बेच रहे हैं। यानी प्रति प्लांट बीस हजार लीटर पानी प्रति दिन दोहन किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक नगर व क्षेत्र में कुल 15 प्लांट मान ले तो प्रतिदिन अनुमानत तीन लाख लीटर पानी दोहन किया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेग रहा। यदि ऐसा ही चलता है तो वह दिन दूर नहीं जब लोग पीने का पानी छोडें इस कुकर्म पर चुल्लू भर पानी नहीं मिलेगा डूब मरने के लिए। अभी भी वक्त है समय रहते पानी को बचा लें।