नहीं थमेगा कैश का संकट
https://www.shirazehind.com/2017/05/blog-post_135.html
जौनपुर। कैश की बाट जोह रहे लोगों रूकना पड़ेगा, ई-पैसे से ही काम चलाना पड़ेगा। बाजार में नकदी का संकट फिलहाल खत्म वाला नहीं है। ऐसे में अपने खर्चे के लिए आपको बैंकों के यूपीआई एप, ई-वालेट, भीम एप का ही सहारा लेना पडेगा। आरबीआइ बैंकों से दो टूक कह रही है कि अभी कैश नहीं है। ग्राहकों को डिजिटल माध्यम अपनाने के लिए जागरूक करिये।
करेंसी छापने और उसके परिवहन में होने वाले हजारों करोड़ रुपये के खर्च को कम करने, नकली नोट पर अंकुश लगाने और लेस कैश अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। यह पहले से ही तय था कि सरकार अर्थव्यवस्था में कैश का प्रवाह कम रखेगी। बाजार में इसका असर भी दिख रहा है। बैंकों का कहना है कि पिछले एक माह से आरबीआइ से करेंसी नहीं मिली है। एक बैंक के क्षेत्रीय स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि आरबीआइ ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी नई करेंसी नहीं मिलेगी। आने वाले दिनों में 10 रुपये, 20 रुपये व 50 रुपये के नोट जरूर आएंगे, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। रकम भी कम होगी। इसलिए बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल लेनदेन करने के लिए जोर दे और उन्हें जागरूक करें। बैंक अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों को कैश लेन-देन के लिए कम चार्ज देना पड़ रहा है बजाय डिजिटल के। अगर कार्ड से पेमेंट ले रहे हैं तो एमडीआर एक से सवा फीसद दे रहे हैं। ग्राहक अपनी जेब से देना नहीं चाहते इसलिए एमडीआर दुकानदार के मत्थे पड़ रहा है लिहाजा पीओएस लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ई-वालेट से खाते में रकम ट्रांसफर करने पर भी चार्ज लग रहा है। कैशलेस को बढ़ावा देने में ये सब रोड़ा हैं। इन्हीं सब दिक्कतों के चलते मार्च की तुलना में अप्रैल में ई-ट्रांजेक्शन में कमी आई है।
करेंसी छापने और उसके परिवहन में होने वाले हजारों करोड़ रुपये के खर्च को कम करने, नकली नोट पर अंकुश लगाने और लेस कैश अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। यह पहले से ही तय था कि सरकार अर्थव्यवस्था में कैश का प्रवाह कम रखेगी। बाजार में इसका असर भी दिख रहा है। बैंकों का कहना है कि पिछले एक माह से आरबीआइ से करेंसी नहीं मिली है। एक बैंक के क्षेत्रीय स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि आरबीआइ ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी नई करेंसी नहीं मिलेगी। आने वाले दिनों में 10 रुपये, 20 रुपये व 50 रुपये के नोट जरूर आएंगे, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। रकम भी कम होगी। इसलिए बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल लेनदेन करने के लिए जोर दे और उन्हें जागरूक करें। बैंक अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों को कैश लेन-देन के लिए कम चार्ज देना पड़ रहा है बजाय डिजिटल के। अगर कार्ड से पेमेंट ले रहे हैं तो एमडीआर एक से सवा फीसद दे रहे हैं। ग्राहक अपनी जेब से देना नहीं चाहते इसलिए एमडीआर दुकानदार के मत्थे पड़ रहा है लिहाजा पीओएस लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ई-वालेट से खाते में रकम ट्रांसफर करने पर भी चार्ज लग रहा है। कैशलेस को बढ़ावा देने में ये सब रोड़ा हैं। इन्हीं सब दिक्कतों के चलते मार्च की तुलना में अप्रैल में ई-ट्रांजेक्शन में कमी आई है।