नहर में पानी नहीं, तालाब पोखरे कैसे होगे संतृप्त
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जौनपुर। शासन के उस निर्देश की धज्जियां उड़ाई जा रही है जिसमें कहा गया है कि तालाबों व पोखरों को नहर से भरा जाय। जिस शारदा सहायक नहर के भरोसे सिचाई कर लाखों करोड़ो किसान अपना जीवन निर्वहन करते है वही नहर आज स्वयं सूखी पड़ी हुई है। प्रदेश सरकार ने निर्देश दिया है तालाबों व पोखरों को नहर के पानी से भरा जाये पर नहर में पानी न होने से इस निर्देश देने का क्या औचित्य है। शारदा सहायक नहर से पेसारा राजवाहा पर हजारो किसान निर्भर रहतें है लेकिन नहर में पानी न होने की वजह से किसानों को घोर कठिनाइयों से दो चार होना पड रहा है। इस समय किसानों को गन्ने के फसल व धान की नर्सरी डालने के लिए पानी की अत्यंत आवश्यकता है पर नहर तो अपने आप को भी तृप्त नहीं कर पा रही है। ऐसे में किसान अत्यंत चिंतित दिखाई दे रहें है। पानी न मिलने से फसल के बर्बादी की जिम्मेदारी कौन लेगा। ग्रामीण क्षेत्र के किसान व पशुपालक मवेशियों को चराने के लिए नहर के किनारे ही ले जाते है और प्यास लगने पर पशु नहर के पानी से ही अपनी प्यास बुझाते है लेकिन उसमंे पानी न होने की वजह से पशुओ के मृत्यु दर में भी इजाफा होने लगा है। इस समस्या ने पशुपालको के माथे की लकीरे बढ़ा दी ही नहर में पानी नहीं छोड़ा गया तो यह समस्या गम्भीर रूप ले लेगी।