अफसरों की सेवा में कर्मी, सफाई व्यवस्था धड़ाम
https://www.shirazehind.com/2017/04/blog-post_64.html
जौनपुर। स्वच्छता को लेकर पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों की सफाई व्यवस्था के लिए लगे सफाई कर्मचारी अधिकारियों के यहां चूल्हा चौका कर रहे हैं। ऐसे करीब एक सैकड़ा से अधिक राजस्व ग्रामों की सफाई व्यवस्था धड़ाम पड़ी है। गांव में जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हुए हैं और नालियां मलबे से बजबजा रही हैं। ऐसे में संक्रामक बीमारियों के फैलने का अंदेशा बढ़ गया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2008 में मौजूदा बसपा सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत जिले के सभी राजस्व ग्राम व अन्य ग्रामों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों की भर्ती की थी। सफाई कर्मचारियों के वेतन के तौर पर कई करोड़ रुपए सरकारी खजाने से खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इन ग्रामों का दुर्भाग्य है कि सफाई के लिए जो कर्मचारी उन्हें मिले वह कभी गांव नहीं आते हैं। बल्कि वह अधिकारियों के यहां चूल्हा चैका का काम कर रहे हैं। ऐसे एक दो सफाई कर्मचारी नहीं हैं बल्कि जिले में कई दर्जन हैं। यही नहीं उनसे दूसरे विभाग का काम भी लिया जाता मजे की बात तो यह है कि यह सफाई कर्मचारी अधिकृत रूप से किसी भी अधिकारी के यहां अटैच नहीं हैं। बल्कि अधिकारियों ने अपना प्रभाव दिखाकर उन्हें आवासों में रख लिया है। जिससे करीब एक सैकड़ा राजस्व ग्रामों समेत कई अन्य ग्रामों की सफाई व्यवस्था धड़ाम पड़ी है। जब भी ऐसे सफाई कर्मचारियों को अधिकारियों के आवासों से हटाने के लिए विभागीय प्रयास किए जाते हैं तो जनपद स्तरीय अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी को रौब दिखाकर मुंह बंद करा देते हैं। ग्रामीणो द्वारा गांव में सफाई
कर्मचारी के न आने की शिकायत की जाती है तो ऐसे मामलों में विभागीय अधिकारी अपने को असहाय महसूस करते हैं।
ज्ञात हो कि वर्ष 2008 में मौजूदा बसपा सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत जिले के सभी राजस्व ग्राम व अन्य ग्रामों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों की भर्ती की थी। सफाई कर्मचारियों के वेतन के तौर पर कई करोड़ रुपए सरकारी खजाने से खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इन ग्रामों का दुर्भाग्य है कि सफाई के लिए जो कर्मचारी उन्हें मिले वह कभी गांव नहीं आते हैं। बल्कि वह अधिकारियों के यहां चूल्हा चैका का काम कर रहे हैं। ऐसे एक दो सफाई कर्मचारी नहीं हैं बल्कि जिले में कई दर्जन हैं। यही नहीं उनसे दूसरे विभाग का काम भी लिया जाता मजे की बात तो यह है कि यह सफाई कर्मचारी अधिकृत रूप से किसी भी अधिकारी के यहां अटैच नहीं हैं। बल्कि अधिकारियों ने अपना प्रभाव दिखाकर उन्हें आवासों में रख लिया है। जिससे करीब एक सैकड़ा राजस्व ग्रामों समेत कई अन्य ग्रामों की सफाई व्यवस्था धड़ाम पड़ी है। जब भी ऐसे सफाई कर्मचारियों को अधिकारियों के आवासों से हटाने के लिए विभागीय प्रयास किए जाते हैं तो जनपद स्तरीय अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी को रौब दिखाकर मुंह बंद करा देते हैं। ग्रामीणो द्वारा गांव में सफाई
कर्मचारी के न आने की शिकायत की जाती है तो ऐसे मामलों में विभागीय अधिकारी अपने को असहाय महसूस करते हैं।