कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराने का दिया निर्देश : जिलाधिकारी
https://www.shirazehind.com/2017/03/blog-post_776.html
जौनपुर। जिलाधिकारी डा0 बलकार सिंह की अध्यक्षता में आज
कलेक्ट्रेट सभागार में डेंगू के सम्बन्ध में बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें
जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रविन्द्र कुमार को निर्देशित किया
कि सीडीओ, डीपीआरओ से कार्ययोजना बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छर के
छिड़काव के लिए मशीन दवा आदि क्रय करें। इसीप्रकार नगर पालिका/नगर पंचायतों
में भी दवा का छिड़काव करायें। मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रविन्द्र कुमार ने
बताया कि राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत
मलेरिया सर्दी व कम्पन के साथ एक दो दिन छोड़कर बुखार, तेज बुखार, उल्टियॉ
और सिर दर्द, बुखार उतरते समय बदन का पसीना-पसीना होना, बुखार उतरने के बाद
थकावट व कमजोरी होना, यदि बुखार है तो रक्त की जॉच कराएं, मलेरिया की
पुष्टि होने पर दवा नियमित रुप से लें, खाली पेट दवा न खाएं, एक वर्ष तक के
बच्चों व गर्भवती महिलाओं को दवा डाक्टर की सलाह से दें, मलेरिया जॉच की
सुविधा व दवाई सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।
मलेरिया की रोकथाम के लिए मलेरिया के मच्छर रुके हुए साफ या धीरे बहते पानी
में पैदा होते है, मच्छर पनप सकते है जैसे हैण्डपम्प के पास पानी जमा होने
से, बेकार पडे़ टायर व बर्तनों में अनुपयोेगी कुंए में, खुली टंकियों व
कूलर के आसपास एवं फूलदान में, क्या करें - पानी के सभी बर्तन, टंकी,
इत्यादि को पूरी तरह बन्द रखें और सप्ताह में एक बार कूलर, फूलदान आदि को
साफ करके पानी को बदलें तथा नल के आसपास पानी इकठा न होने दें, हर किसी को
विशेष कर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को, मच्छरदानी के अन्दर ही सोना चाहिए,
ठहरे हुए पानी जैसे तालाब, कुएं आदि में गम्बोजिया मछली पालें। डेंगू का
कैसे करें पहचान - तेज सिरदर्द व बुखार का होना, मांसपेशियों तथा जोड़ो में
दर्द होना, ऑखों के पीछे दर्द होना, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, गंभीर
मामलों में नाक, मुंह, मसूड़ों से खून आना, क्या करें - पानी से भरे हुए
बर्तनों व टंकियों आदि को ढक कर रखें, सप्ताह में एक बार कूलर को खाली करके
सुखा दें, यह मच्छर दिन के समय काटता है, ऐसे कपडे़ पहनें जो बदन को पूरी
तरह ढकें, डेंगू के उपचार के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नही है बुखार
उतारने के लिए पैरासिटामोल ले सकते है परन्तु एस्प्रीन या ब्रुफेन का
इस्तेमान ना करें, अधिक बुखार में डाक्टर की सलाह लें, डाक्टर की सलाह पर
रोगी को अस्पताल में भर्ती अवश्य करा दें। मस्तिष्क ज्वर (जापानीज
इन्सेफ्लाइटिस) रोग के लक्षण अचानक तेज बुखार, सिर में दर्द, गर्दन का
अकड़ना, उल्टी, मदहोशी, झटकों का आना तथा बेहोशी आदि, अधिकतर माह अगस्त से
नवम्बर तक रोग प्रसार की विधि- विशेष जाति की मादा मच्छर सुअर के रक्त से
बीमारी के विषाणु प्राप्त कर मनुष्यों में पहुंचाती है। बचाव की विधि -
मरीज को तुरन्त निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र/जिला चिकित्सालय पर
पहुंचायें। विलम्ब/देर करना प्राणघातक हो सकता है, मच्छरों से बचाव हेतु
कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करायें, विशेष कर सुअर बाड़ों में, मच्छरदानी का
प्रयोग सोते समय करें, इलाज नीम हकीम से न करायें, रोग के लक्षण मालूम
होेते ही रोगी को अस्पताल ले जायें, जांच एवं उपचार की सुविधायें सभी
स्वास्थ्य केन्द्रो/सरकारी अस्पतालों में निःशुक्ल उपलब्ध है। जिलाधिकारी
ने बताया कि सभी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को फुल डेªस वाले कपडे को
पहनकर आने का निर्देश बीएसए को दिया साथ ही प्रार्थना के समय बच्चों को
बताया जाय कि वह घर पर जाकर अभिभावकों को भी इसके बारे में जानकारी दें। इस
अवसर पर अपर जिलाधिकारी उमाकान्त त्रिपाठी, नगर मजिस्टेªट रत्नाकर मिश्र,
सीओ सदर आर पी यादव, जिला चिकित्सालय पुरुष डा0 एसके पाण्डेय, डीआईओएस
भाष्कर मिश्र, जिला कार्यक्रम अधिकारी पवन यादव, नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश
टण्डन, एआरटीओ प्रशासन अनिल राय, जिला युवा कल्याण अधिकारी आर पी यादव,
डीपीएम सत्यव्रत त्रिपाठी, सभी उपजिलाधिकारी सहित सभी उप मुख्य
चिकित्साधिकारी एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।