माँ....एक अकेला अक्षर जो पूरा शब्द है

 बिना आ की मात्रा के भी हम इसे म ही कहते हैं....सरगम में भी म ही एक ऐसा सुर है जो तीव्र है, आ की मात्रा के ऊपर चंद्र बिंदी लगी है....चंद्र प्रतीक है माँ की गोद का और बिंदी गोद में बच्चे का प्रतीक है...प्रणाम माँ जो आप ने ये काया दी, काया में आत्मा, आत्मा में जीवन, जीवन में संस्कार और संस्कार में जिंदगी जीने की तमीज, धन्य है वो माँ जिसने बहन दी, धन्य है वो माँ जिसने सखी दी, धन्य है वो माँ जिसने पत्नी दी, धन्य है वो पत्नी जिसने माँ बन कर मुझे बेटी दी, धन्य है वो माँ जिसने मुझे बेटे का पिता बनाया, ताकि मैं उस बेटे को दे सकूं ऐसे संस्कार कि जो मैं आज लिख रहा हूं वो कल लिखे और प्रणाम करे हर माँ, हर बहन को, प्यार करे पत्नी को और पूजे बेटी के पांव।

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