डायल 100 सेवा से पीड़ितों का मोहभंग
https://www.shirazehind.com/2017/03/100_29.html
जौनपुर। जिन कंधों पर लोगों को निःशुल्क व भ्रष्टाचार मुक्त तत्काल राहत व न्याय दिलाने की जिम्मेदारी हो, जब वही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायें तो न्याय की क्या उम्मीद की जा सकती है? बात है कानून व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास जीतने के लिये शुरू की गई सपा सरकार की डायल 100 सेवा की, जिसमें पीड़ितों को न्याय मिलने की बजाय गालियाँ मिल रहीं। आरोपी व न्याय की उम्मीद पालने वाले पीड़ित को डायल 100 सेवा में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा घर से उठाकर जबरन बेइज्जत कर गाड़ी में बैठाकर सुनसान स्थान पर ले जाया जा रहा है और सौदेबाजी की जा रही है। जब सौदेबाजी से बात नहीं बन रही तो डायल 100 सेवा में तैनात पुलिसमकर्मियों द्वारा जबरन उन्हे थानों में दाखिल करा रहे है, जिससे आमजन में पुलिस के प्रति खासा आक्रोश पनप रहा है।
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर उठते सवालों से परेशान सपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डायल 100 सेवा शुरू की थी, जिससे प्रदेश की जनता ने बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था दुरूस्त होने की उम्मीद जताई थी। जब डायल 100 सेवा के लिये सिपाहियों को चयनित कर प्रशिक्षण दिया गया था, तो अफसरों ने उन्हें कानून का पाठ पढ़ाते हुये डायल 100 सेवा के जरिये तत्काल मौके पर पहुँचकर पीड़ितों से सभ्य व्यवहार कर त्वरित न्याय दिलाने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई डायल 100 सेवा में तैनात पुलिसकर्मी पीड़ितों को मदद पहुँचाने की बजाय निजी स्वार्थ में जुट गये हैं। ग्रामीणों की मानें तो तैनात पुलिसकर्मी सौ रूपये में भी बिकते नजर आ रहे हैं, जिससे खाकी की गरिमा तार-तार होती नजर आ रही है। इससे न सिर्फ जनता में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास कम हो रहा, बल्कि पुलिस की घटिया सोच भी उजागर हो रही है। घटित मामलों की सूचना मिलने पर डायल 100 सेवा घटनास्थलों पर पहुँचकर न्याय दिलाने के बजाय तोलमोल के खेल में लगती नजर आ रही है। इससे पीड़ितों का डायल 100 सेवा से मोहभंग होता नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर उठते सवालों से परेशान सपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डायल 100 सेवा शुरू की थी, जिससे प्रदेश की जनता ने बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था दुरूस्त होने की उम्मीद जताई थी। जब डायल 100 सेवा के लिये सिपाहियों को चयनित कर प्रशिक्षण दिया गया था, तो अफसरों ने उन्हें कानून का पाठ पढ़ाते हुये डायल 100 सेवा के जरिये तत्काल मौके पर पहुँचकर पीड़ितों से सभ्य व्यवहार कर त्वरित न्याय दिलाने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई डायल 100 सेवा में तैनात पुलिसकर्मी पीड़ितों को मदद पहुँचाने की बजाय निजी स्वार्थ में जुट गये हैं। ग्रामीणों की मानें तो तैनात पुलिसकर्मी सौ रूपये में भी बिकते नजर आ रहे हैं, जिससे खाकी की गरिमा तार-तार होती नजर आ रही है। इससे न सिर्फ जनता में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास कम हो रहा, बल्कि पुलिस की घटिया सोच भी उजागर हो रही है। घटित मामलों की सूचना मिलने पर डायल 100 सेवा घटनास्थलों पर पहुँचकर न्याय दिलाने के बजाय तोलमोल के खेल में लगती नजर आ रही है। इससे पीड़ितों का डायल 100 सेवा से मोहभंग होता नजर आ रहा है।