रखा जायेगा बीमार विद्यार्थियों का रिकार्ड
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जौनपुर। देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों की सेहत को लेकर स्वास्थ्य महकमा फिक्रमंद है। इसके लिए आरबीएसके राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें डॉक्टरों की मोबाइल टीमें सरकारी स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण करती है। ये टीमें अब बीमार बच्चों का इलाज करने के साथ ही उनका रिकार्ड भी रखेंगी। इसके लिए लैपटॉप उपलब्ध कराया जाएगा। इससे बच्चों की निगरानी करना आसान होगा।
सरकार की मंशा है कि प्रत्येक बच्चा स्वस्थ रहे। बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए ब्लाक स्तर पर मोबाइल टीमें बनाई हैं। इन टीमों में दो चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, एएनएम आदि शामिल हैं। मोबाइल टीमें सभी सरकारी विद्यालयों और आंगनबाडी केन्द्रों पर समय-समय पर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं। इसका मकसद जन्म से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में संभावित चार बीमारियों की समय पर पहचान कर इलाज उपलब्ध कराना है। यदि कोई बच्चा 30 चिन्हित बीमारियों में से किसी एक से भी ग्रसित पाया जाता है, तो उसे आगे के इलाज के लिए हायर सेंटर भेजा जाता है। उसका उपचार निःशुल्क किया जाता है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और दिव्यांगता समेत विकास में रुकावट की जांच शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों अनुसार बच्चों में कुछ बीमारियां बेहद आम हैं। जैसे दांत, हृदय संबंधी या श्वसन संबंधी बीमारी। यदि इनकी समय रहते पहचान कर ली जाए तो उपचार संभव होता है। रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। मोबाइल टीमों को अब ऐसे बच्चों का रिकार्ड रखने के लिए लैपटॉप उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे बच्चों का डाटा रख सकें।
सरकार की मंशा है कि प्रत्येक बच्चा स्वस्थ रहे। बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए ब्लाक स्तर पर मोबाइल टीमें बनाई हैं। इन टीमों में दो चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, एएनएम आदि शामिल हैं। मोबाइल टीमें सभी सरकारी विद्यालयों और आंगनबाडी केन्द्रों पर समय-समय पर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं। इसका मकसद जन्म से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में संभावित चार बीमारियों की समय पर पहचान कर इलाज उपलब्ध कराना है। यदि कोई बच्चा 30 चिन्हित बीमारियों में से किसी एक से भी ग्रसित पाया जाता है, तो उसे आगे के इलाज के लिए हायर सेंटर भेजा जाता है। उसका उपचार निःशुल्क किया जाता है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और दिव्यांगता समेत विकास में रुकावट की जांच शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों अनुसार बच्चों में कुछ बीमारियां बेहद आम हैं। जैसे दांत, हृदय संबंधी या श्वसन संबंधी बीमारी। यदि इनकी समय रहते पहचान कर ली जाए तो उपचार संभव होता है। रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। मोबाइल टीमों को अब ऐसे बच्चों का रिकार्ड रखने के लिए लैपटॉप उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे बच्चों का डाटा रख सकें।