रबी की फसलों पर कीटों का हमला
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जौनपुर। जिले में जबर्दश्त पड़ी सर्दी की वजह से रवि की मुख्य फसल सहित अन्य फसलों पर कींटों का प्रकोप बढ़ गया है। शीतलहर और ठण्ड के प्रकोप से मटर, चना, राई, सरसों पर कीट जमें हुए हैं। समय रहते किसनों ने यदि कीटनाश दवाओं का छिड़काव नहीं किया तो फसलों को नुकसान होने से नहीं बचाया जा सकता है। इस साल ठण्ड के साथ ही तेज कोहरा पड़ा। दोपहर तक कुछ नहीं दिखाई देता था। किसानों का कहना है कि अब पाले का असर फसलों पर दिखाई देने लगा है। यह पाला जहां गेहूं की फसलों के लिए अमृत है ही सरसों ,चना ,मटर, अरहर के लिए काफी घात है। सरसो, चना, मटर में फूल निकल रहे हैं। पाले की जह से यह फूल मुरझा जा रहे है। मटर की फसल को रोग से बचाने के लिए समय पर रोग की पहचान व उसकी रोक थाम अति आवश्यक है। मटर की फसल में बुकनी, उकठा, झुलसा व फलीबेधक आदि प्रमुख कीट रोग होते हैं। कृषि विभाग के अनुसार बुकनी रोग में मटर के पौधों में पत्तियां, फलियां, तने पर सफेद चूर्ण सा फैलता है। बाद में पत्तियां ब्राउन काली हो कर मरने लगती है। जिस भी खेत में यह बीमारी हो वहां तीन साल तक मटर की फसल को नहीं बोना चाहिए। मटर की फली बेधक कीट भूरे रंग का होता है। जिसके ऊपर पंख पर सफेद व काली धारियां होती है तथा निचले पंख के किनारे पर पारदर्शी लाइन पायी जाती है। कीट फलियों में बन रहे दाने के आकार को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे फलियंा रंगहीन, पानी युक्त और दुर्गन्धयुक्त हो जाती हैं।