चुनावी पेड न्यूज पर लगेगा जुर्माना
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जौनपुर । मुख्य कोषाधिकारी/व्यय अनुवीक्षण प्रभारी राकेश सिंह ने बताया कि पेड न्यूज की घटना सामान्यता किसी पार्टी या अभ्यर्थी विशेष की प्रशस्ति करते हुए अन्यथा विपक्षी दलों की निन्दा करते हुए न्यूज अथवा रिपोर्ट के रूप में व्यक्त की जाती है, किन्तु दोनो के प्रकार से यह मतदाताओं को प्रभावित करने के अभिप्राय से किया जाता है एक से अधिक अखबारों में इसी प्रकार के न्यूज सामने आने पर पारिस्थितिक साक्ष्य के रूप में इसे और अधिक समर्थन मिलता है ये खबरें साठ-गाठ के परिणाम स्वरूप आती है इससे भुगतान व व्यय के कोई सबुत नही होते। निर्वाचन आयोग ने अन्य प्रावधानों के प्रयोग के साथ इस तरह के प्रिन्ट या इलेक्ट्रानिक मीडिया से खरीदी गयी खबरों या सरोगेट विज्ञापनों के नियत्रंण व रोक हेतु कडे निर्देश व मेकनिज्म विकसित किया है, उपरोक्त के जॉच के प्रयोजनार्थ आयोग के निर्देश में जनपद स्तर पर मीडिया सर्टिफिकेशन व मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है, स्टेट लेवल पर भी प्रिन्ट/इलेक्ट्रानिक मीडिया में इस तरह की पेड न्यूज पर नियंत्रण हेतु निर्वाचन आयोग की स्टेट लेवल कमेटी गठित है, यह समिति टेलीविजन/रेडियों व प्रिन्ट मीडिया में आने वाली निर्वाचन निर्वाचन खबरों/ विशिष्टताओं/अभ्यर्थियों के भाषण/गतिविधियों की असंगत कवरेज पर कड़ी नजर रखती है, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-127 ’क’ के अनुसार किसी भी निर्वाचन विज्ञापन/पम्पलेट इत्यादि में प्रकाशक का नाम पता छापना आवश्यक है ऐसा न करने पर 2,000.00 तक जुर्माना और दो वर्ष की सजा हो सकती है, प्रिन्ट मीडिया/इलेक्ट्रानिक मीडिया में पेड न्यूज के रूप में प्रसारित खबरों के सम्बन्ध में सत्यता पर संतुष्ट होने के उपरान्त ’एमसीएमसी’ द्वारा सम्बन्धित दल/प्रत्याशी को ’निर्धारित मानक दर’ पर उक्त व्यय को सम्बन्धित प्रत्याशी के खर्चे में शामिल करने की नोटिस देकर आरओ को सूचित करेंगी।