मौनी अमावस्या ने लाखों ले लगायी डुबकी
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जौनपुर। मौनी अमावस्या पर आदि गंगा गोमती के विभिन्न घाटों पर लाखों लोगों ने स्नान कर दान पुण्य किया। सवेरे से ही पचहटिया स्थित सूरज घाट पर स्नानार्थियों का जमघट लगा रहा। लोगों ने पवित्र जल में डुबकी लगाकर सूर्य को अघ्र्य दिया तथा दान दिया। यहां हर साल की तरह विषाल मेला लगा था। मेले में कृषि एवं गृहोपयोगी सामानो की सैकड़ों दुकाने लगी थी। हल्की बारिश के बावजूद मेले में भारी भीड़ देखी गयी। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी रही। सेण्ट पैट्रिक स्कूल से राजा साहब के पोखरे तथा सूरज घाट पर लाई, चुड़ा, अमरूद , जलेबी, पकौड़ी की दुकाने सजी रही और लोगों ने जमकर खरीददारी की। ज्ञात हो कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है। इस पवित्र तिथि को मौन या चुपकर रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इसी कारण इसे मौनी अमावस्या कहा जाता अमावस्या इस मास का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। पुराणों में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी स्नान की जो महिमा वर्णित की गई है, वह स्वर्ग एंव मोक्ष को देने वाली है। स्नान के साथ ही पुराणों में त्रिवेणी तट पर दान की अपार महिमा वर्णित है। इस दिन व्यक्ति विशेष को मौन व्रत रखने का भी विधान रहा है. इस व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए. धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है. कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं. वह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि कितने समय के लिए वह मौन व्रत रखना चाहता है. कई व्यक्ति एक दिन, कोई एक महीना और कोई व्यक्ति एक वर्ष तक मौन व्रत धारण करने का संकल्प कर सकता है.। इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए. वाणी को नियंत्रित करने के लिए यह शुभ दिन होता है. मौनी अमावस्या को स्नान आदि करने के बाद मौन व्रत रखकर एकांत स्थल पर जाप आदि करना चाहिए. इससे चित्त की शुद्धि होती है. आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है. मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति स्नान तथा जप आदि के बाद हवन, दान आदि कर सकता है ऐसा करने से पापों का नाश होता है. इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामथ्र्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की सामथ्र्य त्रिवेणी के संगम अथवा अन्य किसी तीर्थ स्थान पर जाने की नहीं है तब उसे अपने घर में ही प्रातरू काल उठकर दैनिक कर्मों से निवृत होकर स्नान आदि करना चाहिए अथवा घर के समीप किसी भी नदी या नहर में स्नान कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगाजल के समान हो जाता है. स्नान करते हुए मौन धारण करें और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करें।