सर्दी में कीटों से फसलों का करें बचाव

जौनपुर। सर्दी का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ने लगा है वैसे-वैसे रबी फसलों को कुछ कीट पतंगों से नुकसान भी बढ़ जाता है। कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर समय पर कीट व रोग को पहचान कर उपचार किया जाए तो फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। उनका कहना है कि बदलते मौसम का असर सरसों, सब्जी वाली फसलों पर अधिक पड़ता है। आलू, मटर, टमाटर, अलसी, सरसों, जैसी फसलों में चूसक कीड़े लग जाते हैं। झुलसा पत्ती धब्बा व बुकनी रोग लगने की संभावना अधिक रहती है। जैसे-जैसे तापमान में गिरावट आती है रोगों का प्रकोप भी बढ़ने लगता है। अगर दिन का तापमान 22 डिग्री से कम रहा तो झुलसा रोग अधिक हो जाता है। यह रोग दो प्रकार का होता है। पहले में पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं। दूसरा प्रकार झुलसा में पूरा पेड़ सड़ जाता है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस समय गेहूं में रतुआ रोग लगने की संभावना ज्यादा है। इस रोग से गेहूं के पौधे पीले पड़ने लगते हैं। काले-पीले धब्बे पड़ जाते हैं। बताया कि चना, टमाटर और अरहर में उकठा रोग लगने का भय रहता है। रतुआ रोग से बचाव के लिए ट्रोपी फोसजोल का छिड़काव करें। रात में खेत पर धुआं करना चाहिए। सिचाई भी जरूरत के हिसाब से की जा सकती है। उकठा रोग से बचाव के लिए गोबर की खाद में ट्राईकोडर्मा मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। सिचाई नहीं  करना चाहिए। सिचाई से रोग पानी द्वारा अन्य पौधों पर पहुंच  जाता है।

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