व्यक्तित्व विकास के लिए समग्र शिक्षा एवं अंतरविषयी शिक्षा प्रणाली को उपयोग में लाना जरूरी

 जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित शोध एवं नवाचार केन्द्र में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) पर मंगलवार को कार्यशिविर आयोजित किया गया। इस कार्यशिविर में अध्ययन परिषद के सदस्यगण एवं विश्वविद्यालय के सभी संकायों के संकायाध्यक्ष शामिल हुए। कार्यशिविर के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जनक पाण्डेय ने कहा कि छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए समग्र शिक्षा एवं अंतरविषयी शिक्षा प्रणाली को उपयोग में लाना जरूरी है। सीबीसीएस प्रणाली के अंतर्गत छात्र अपनी मर्जी विभिन्न विषयों का चयन कर सकते हैं। इसके अंतर्गत वार्षिक के बजाय सेमेस्टर परीक्षा पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई विद्यार्थी किसी विश्वविद्यालय में किसी सेमेस्टर को उत्तीर्ण किया है  और अगले सेमेस्टर को किसी अन्य विश्वविद्यालय से करना चाहता है तो उसे इस प्रणाली के लागू होने से आसानी होगी। इससे जुड़े सभी विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम प्रणाली एक जैसी होती है। इस प्रणाली को देशभर के विश्वविद्यालय में लागू करने के लिए सबसे पहले छात्रों को शिक्षकों एवं शिक्षा प्रणाली तथा शिक्षकों को स्वयं पर विश्वास होना चाहिए। इस प्रणाली के लागू होने से शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित होंगे।

अध्यक्षता कर रहे पूविवि के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार सीबीसीएस प्रणाली को पूरे देश के विश्वविद्यालयों में लागू किया जाना है जिससे कि पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रणाली की समानता को सुनिश्चित किया जा सके। शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी सत्र से विश्वविद्यालयों में क्रेडिट बेस्ड च्वाइस सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने की तैयारी है। इसके तहत विद्यार्थियों की ओवरआल रैंकिंग हो सकेगी। वार्षिक परीक्षा प्रणाली से सीबीसीएस प्रणाली में शिफ्ट करना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था को नये ढंग से व्यवस्थित किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रथमतया पाठ्यक्रम निर्माण, अध्ययन, मूल्यांकन एवं परिणाम का मानकीकरण इस व्यवस्था के अभिन्न पहलू हैं। 
बीएचयू के प्रो. जेपी श्रीवास्तव ने कहा कि सीबीसीएस सिस्टम विद्यार्थी को पाठ्यक्रम संबंधी लचीले विकल्प प्रस्तुत करता है।  क्रेडिट बेस्ड च्चाइस सिस्टम से छात्रों की ओवरआल रैंकिंग की जा सकेगी। विद्यार्थी के पास मूल विषय से इतर अन्य पाठ्यक्रम के रूचिकर एवं प्रायोगिक विषयों को पढ़ने का मौका मिलता है। कौशल विकास एवं भाषा विकास संबंधी माड्यूल, इंटर्नशिप, लघु शोध प्रबंध आदि भी सीबीसीएस के क्रेडिट का हिस्सा है।
स्वागत उप कुलसचिव संजीव सिंह, कार्यशाला की रूपरेखा एवं संचालन डा. प्रदीप कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अविनाश पाथर्डीकर ने किया। इस अवसर पर प्रो. डीडी दूबे, प्रो. बीबी तिवारी, डा. वन्दना राय, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. समर बहादुर सिंह, डा. विजय सिंह, डा. राकेश सिंह, डा. विनय कुमार सिंह, डा. नरेन्द्र कुमार सिंह, डा. सौम्यसेन गुप्ता, डा. जीडी दूबे, डा. दलसिंगार सिंह, डा. शिल्पा त्रिपाठी, डा. एचएस सिंह, डा. सुबाष चन्द्र बिसोई, डा. नन्दनी श्रीवास्तव, डा. श्रीकांत पाण्डेय, डा. सत्यप्रकाश सिंह, डा. एसपी सिंह, डा. वशिष्ठ यति, डा. जी सिंह, डा. ओमप्रकाश सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. सुरजीत यादव, डा. रजनीश भाष्कर सहित परिसर के शिक्षक मौजूद रहे।

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