भुखमरी का शिकार हो रही अनाथ वृद्धा
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जौनपुर । केंद्र व प्रदेश सरकार भले ही गरीबों के लिए करोड़ों रूपये की व्यवस्था करे लेकिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही से बड़ी संख्या में गरीब असहाय भोजन के लिए दर दर भटक रहे है। उनके पास न सिर छिपाने को छत और न खेती के लिए जमीन । मछलीशहर विकास खंड के करियाव गांव की अनाथ वृद्धा तैयबा खातून पति के देहांत के बाद दाने-दाने की लिए भटकते हुए खुले आसमान के नीचे अपना जीवन व्यतीत करने के लिए विवश है लेकिन शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधि उसकी सुधि नहीं ले रहे है। गरीबों के हितैषी होने का दम्भ भरने वाली सरकारे तो गरीबों के लिए तमाम योजनाओं चलाने का दावा तो करती है और अंत्योदय या इंदिरा आवास जैसे तमाम योजनाएं तो चलाती है लेकिन सवाल है कि कि ये सरकारी योजना किसके लिए है। यदि सही ढंग से सरकारी योजनाएं लागू होती तो आज यह महिला दाने-दाने के लिए नहीं भटकती और न ही खुले आसमान के नीचे अपना आशियाना बनाती जबकि गांव में रहने वाले गरीबों के लिए ग्राम प्रधान सैक्रेटरी एवं बीडीओ तो तैनात किये गये है लेकिन आज तक न ही सेक्रेटरी और न ही बीडीओ इस महिला का हाल लेना उचित समझा। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाय कि और कुछ जिस दिन भूख से इस महिला का अंत हो जाएगा उसी दिन सरकार के अधीन सभी अधिकारियों की नींद भंग हो जायेगी और घड़ियालू आंसू बहाने वहां पर पहुंच जायेंगे और यदि समय रहते अधिकारी जाग जाए तो तमाम गरीबों का आंसू बहने ही नहीं पायेगा और लोग गरीबों का मजाक भी नहीं उड़ायेंगे।