तड़पता शहर, बेपरवाह अफसर
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जौनपुर। सड़कों पर गढ्ढे न बिजली न पानी मेरे शहर की फिजां कितनी सुहानी , किसी शायर की यह लाइने शहर के लिए सटीक बैठती है। शहर के लोग गन्दगी से परेशान है। कहीं दुर्गन्ध तो कही नालियां जाम होकर सुन्दरीकरण को मुंह चिढ़ा रही है। बिजली कटौती से सभी बेहाल है। इसका असर हर वर्ग पर पड़ रहा है। यही नहीं जर्जर सड़कों से आवागमन करना लोगों की मजबूरी बन गयी है। जिम्मेदार बस भरोसा देते है कार्यवाई के नाम पर सन्नाटा है। नगर पालिका से आपूर्ति किये जाना पानी गन्दा और प्रदूषित है। इसका सेवन कर गरीब लोग अस्पतालों में इलाज करा रहे है। गन्दे पानी की आपूर्ति को लेकर अनेक बार हो हल्ला नागरिकों ने मचाया लेकिन अधिकारी इस समस्या पर गंभीर नहीं हो रहे है। शहर में जाम आम बात है। यातायात संचालन के लिए लगाये गये ट्रैफिक और सिविल के सिपाही तथा होमगार्ड धन वसूली के कारण नीयम कानून की धज्जियां उड़ा रहे है। मलेरिया और डेगूं का कहर चल रहा है। आटो और ई- रिक्शा से पुलिस की वसूली और बदइन्तजामी ने लोगों को बहाल कर रखा है। अधिकारियों को यह सब कारस्तानी देखने का समय नहीं है न कार्यवाही करने की जहमत गवारा करते है।