एक सैनिक 10 आतंकवादी को मारे तब मिलेगी मेरे दिल को ठण्डक : राजेंद्र सिंह
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जौनपुर। रविवार के तड़के जम्मू-कश्मीर में बारामुला जिले के उड़ी में हुए फिदायीन
हमले में 17 जवानो में शहादत देने में जौनपुर जिले का बेटा राजेश सिंह भी
शामिल है। घटना के करीब 26 घंटे बाद यह मनहूस खबर जौनपुर पहुंची तो पूरा
जिला गम में डूब गया। शहीद के गांव में पूरी तरह से मातम फैल गया है। उसकी
बुजुर्ग मां के आंखो से आशूओ की धारा बह निकली है। पिता गुम सुन होकर इधर
उधर टहल रहे है। उनकी पत्नी अपने 6 वर्षीय बेट के साथ वाराणसी से जौनपुर
के लिए चल दी है। उधर परिवार सहित पूरा गांव उनका अंतिम दर्शन करने के लिए
शव आने का इंतजार कर रहे है। जौनपुर जिले के सरायखाजा थाना
क्षेत्र के भकुरा गांव के निवासी राजेन्द्र प्रसाद सिंह के तीन पुत्र
उमेन्द्र सिंह राकेश सिंह लखनऊ में अपना निजी व्यापार करते है। दोनो भाई
पूरे परिवार के साथ वही रहते है। तीसरे नम्बर का पुत्र राजेश सिंह आठ वर्ष
पूर्व देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती हुआ था। उसकी बीबी जूली सिंह
अपने 6 वर्षीय पुत्र रिशांत को पढ़ाने के उद्देश्य से वाराणसी में रहती है।
गांव में माता बरमावती देवी और पिता राजेन्द्र सिंह रहते हुए खेती करते है।
राजेश मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर बारामुला जिले के उड़ी में तैनात था।
रविवार की भोर में हुई जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन दस्ते के आंतकियों द्वारा
सेना के ब्रिगेड मुख्याल पर की हमले में शहीद हुए 17 जाबाज सैनिको में
राजेश सिंह भी शामिल है। यह मनहूस खबर सोमवार को करीब 11 बजे उनके घर
पहुंची तो पूरे इलाके में कोहराम मच गया। माता परमावती देवी के आंखो से आशू
रूकने का नाम नही ले रहा है। उनक करूणा क्रन्दन सुनकर पूरा इलाका गमगीम हो
गया। पिता राजेन्द्र सिंह गुमसुम होकर इधर उधर टहल रहे है। राजेन्द्र सिंह
को अपने बेटे को शहीद होने पर गर्व नही है उनका कहना है कि यदि मेरा लाल
लड़ाई में शहीद हुआ होता तो मुझे फक्र होता लेकिन यह तो आंतकवादी हमले में
मारा गया है। दूसरा कष्ट उन्हे है यह कि इस हमले में दस आंतकवादी मारे जाते
एक जवान शहीद होता चाहे मेरा बेटी ही मारा जाता तो हमे गर्व होता। उन्होने
साफ कहा कि एक सैनिक दस आंतवादी को मारे तब मेरे कलेजे को ठण्डक पहुंचेगी।
उधर राजेश के साथ बचपन से ही पढ़ने लिखने वाले उसके अंशू सिंह राजेश का दोस्त व ग्राम प्रधान ने कहा कि हम लोगो को गम भी और गर्व भी है कि मेरा दोस्त देश के लिए शहीद हुआ है।
उधर राजेश के साथ बचपन से ही पढ़ने लिखने वाले उसके अंशू सिंह राजेश का दोस्त व ग्राम प्रधान ने कहा कि हम लोगो को गम भी और गर्व भी है कि मेरा दोस्त देश के लिए शहीद हुआ है।