मुसलमान अपने कर्म और चरित्र से इस्लाम को बदनाम न करें
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जफराबाद। जमाअत इस्लामी हिन्द के तत्वाधान में दिनांक 21 अगस्त 2016 से 04 सितम्बर 2016 भारत में चलाये जा रहे शान्ति एवं मानवता अभियान के तहत सोमवार को डा0 सिराजुल हक के नेतृत्व में जफराबाद कस्बे में स्थित मकतब में जमाते-इस्लाम-ए-हिन्द का प्रोग्राम आयोजित हुआ। उक्त प्रोग्राम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि अब्र्दुरहमान फतेहपुरी ने कहा कि मुसमानों को चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को समझकर और ईश्वरीय शिक्षाओं पर सीधी तरह चलकर उसकी तरफ संसार का पथ प्रदर्शन करें, न कि अपने कर्म और चरित्र से इस्लाम को बदनाम करें। हमारा देश संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। विविधता हमारे भारत देश की अद्वितीय विशेषता है। संसार के सभी महत्वपूर्ण धर्म जैसे-ईसाइयत, इस्लाम, हिन्दूमत, यहूदियत, सिख मत, बुद्ध मत, जैन मत, पारसी, बहाइयत आदि को मानने वाले यहां मौजूद है। इन धर्मो में इस्लाम स्वतंत्र आचार-विचार का समर्थक है। वह धर्म के सम्बन्ध में जबरदस्ती, कठोरता और उदारहीनता का विरोधी है।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक अम्नों-शान्ति हमारे देश की बड़ी शक्ति है, परन्तु आज कुछ चन्द राजनेता एवं समाज विरोधी ताकतें अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए साम्प्रदायिक दंगा करातें है जिसमें भारी जनहानि होती है। देश की अम्नों शान्ति को बनाये रखने के लिए ऐसे साम्प्रदायिक ताकतों को आज हमें मिलजुल कर रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज से दिन पर दिन इंसानियत नाम की चीज खत्म होती जा रही है। इंसानियत खत्म होने के कारण ही उड़ीसा के दाना माझी को अपनी पत्नी की लाश अस्पताल से कंघे पर ले जाना पड़ा। कार्यक्रम का संचालन जमाते-इस्लाम-ए-हिन्द के आयोजक डा0 सिराजुल हक ने किया। इस अवसर पर विजय बरनवाल, बेचूलाल सेठ, संदीप सेठ, नवनीत बरनवाल, डा0 अब्दुल कयूम, एजाज अहमद, शब्बीर अहमद सहित भारी संख्या में गणमान्य नागरिकगण उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक अम्नों-शान्ति हमारे देश की बड़ी शक्ति है, परन्तु आज कुछ चन्द राजनेता एवं समाज विरोधी ताकतें अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए साम्प्रदायिक दंगा करातें है जिसमें भारी जनहानि होती है। देश की अम्नों शान्ति को बनाये रखने के लिए ऐसे साम्प्रदायिक ताकतों को आज हमें मिलजुल कर रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज से दिन पर दिन इंसानियत नाम की चीज खत्म होती जा रही है। इंसानियत खत्म होने के कारण ही उड़ीसा के दाना माझी को अपनी पत्नी की लाश अस्पताल से कंघे पर ले जाना पड़ा। कार्यक्रम का संचालन जमाते-इस्लाम-ए-हिन्द के आयोजक डा0 सिराजुल हक ने किया। इस अवसर पर विजय बरनवाल, बेचूलाल सेठ, संदीप सेठ, नवनीत बरनवाल, डा0 अब्दुल कयूम, एजाज अहमद, शब्बीर अहमद सहित भारी संख्या में गणमान्य नागरिकगण उपस्थित रहे।