साहित्यकारों को अनुदान देने के लिये आगे आया हिन्दी संस्थान

  जौनपुर। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान उत्तर प्रदेश शासन के भाषा के नियंत्रणाधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश में हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है। संस्थान का एकल कार्यालय लखनऊ में स्थित है। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के अतिरिक्त साहित्यकारों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं संचालित करता है। संस्थान आर्थिक रूप से विपन्न साहित्यकारों को साहित्यकार कल्याण कोष योजनान्तर्गत आर्थिक सहायता व प्रकाशन अनुदान योजना अन्तर्गत रचनाकारों को उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण/प्रकाशन हेतु अनुदान प्रदान करता है। संस्थान इन योजनाओं को अधिक पारदर्शी व व्यापक प्रचार-प्रसार की दृष्टि से प्रदेश के सभी जनपदों से ऐसे साहितकारों/रचनाकारों के आवेदन आमंत्रित है जो विषम आर्थिक स्थिति ग्रस्त है। साहित्यकार कल्याण कोष संस्थान द्वारा इस योजनान्तर्गत विषम आर्थिक स्थिति ग्रस्त या रूग्ण ऐसे साहित्यकारों को जिनकी वार्षिक आय समस्त स्रोतों से 5 लाख रूपये से अधिक नहीं है, उन्हें अधिकतम 50000 रूपये अनावर्तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। प्रकाशन अनुदान संस्थान द्वारा इस योजनान्तर्गत ऐसे रचनाकारों को जिनकी वार्षिक आय समस्त स्रोतों से 5 लाख से अधिक नहीं है, कुल प्रकाशन पर होने वाले व्यय का 3 चैथाई भाग, जो 30 हजार से अधिक नहीं होगा, उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण/प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान प्रदान किया जाता है। इन दोनों योजनाओं हेतु संस्थान द्वारा प्राविधानित नियमावली के अनुसार साहित्यकार व रचनाकार अपना आवेदन पत्र निदेशक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन हिन्दी भवन 6-महात्मा गांधी मार्ग, हजरतगंज लखनऊ 226001 को कर सकते हैं। उक्त दोनों योजनाओं की नियमावली एवं आवेदन पत्र का प्रारूप संस्थान कार्यालय से किसी कार्य दिवस में प्राप्त किया जा सकता है। संस्थान में प्रार्थना पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि 20 अगस्त है। योजनाओं के विवरण एवं प्रार्थना पत्र का प्रारूप संस्थान की बेवसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डाट यूपी हिन्दी संस्थान डाट इन पर उपलब्ध है।

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