बच्चों को डेगूं और टायफायड का खतरा

जौनपुर। प्राथमिक स्कूलों में सफाई व्यवस्था में बरती जा रही लापरवाही अभिभावकों के लिए मुसीबत बन सकती है। उनके बच्चे डेगूं और टायफायड की चपेट में आ सकते है। इस रोग के मरीज हर अस्पताल में पाये जा रहे है।  इलाज के नाम पर लाखों रूपये भी खर्च भी हो रहे हैं। बावजूद इसके बचाव के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। प्राइमरी स्कूलों में सफाई व्यवस्था का कोई पुरसाहाल नहीं है। सफाई कर्मी प्रधान के घर और चैराहों पर गप्पे मारते दिखाई देते है। बरसात का पानी स्कूलों में जमा रहता है। स्कूलों के आस पास और रास्ते में जलजमाव का नजारा हर जगह देखा जा सकता है। गांवों में सफाई के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। इससे स्कूल भी अछूते नहीं है। दर्जनों स्कूलों में गन्दगी और पानी लगा है नियमित सफाई नहीं हाती हैै। इस हालत में बच्चों का डेगूं की चपेट में आने से इन्कार नहीं किया जा सकता। सरकारी स्कूलों में ज्यादातर गरीब बच्चे ही पढ़ते है। इस समय मलेरिया और टाइफाइड जोरों पर फैला है। बच्चों के अभिभा वक झोला छाप चिकित्सकों से इलाज करा रहे है। यदि उनका बच्चा डेगूं , मलेरिया और टायफायड की चपेट में आ गया तो वे कही के नहीं रहेगें। उनके पास मोटी रकम नहीं जो इस बीमारी से बचाव में खर्च करेेगें। इस समस्या के बारे में न तो प्रशासन को चिन्ता है और विभाग का तो जैसे इन सबसे कोई लेना देना नहीं है। इस समय कई बीमारियों से बच्चे पीड़ित देखे जा रहे है और उनकी संख्या भी स्कूलों में कम है।

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