कौन है किरन श्रीवास्तव?

 सन 1992 से अपना राजनीतिक सफ़र शुरू करने वाली किरन श्रीवास्तव ने आज बुलंदी के उस मुक़ाम पे अपना निर्विरोध व्यक्तित्व निर्माण किया है जहाँ हर वर्ग के लोग उन्हें आदर व सम्मान भरी नज़रों से देखते एवं जानते है। चाहे वो छोटा हो या बड़ा, चाहे अमीर या ग़रीब,  हिन्दु या  मुसलमान सब के बीच इनकी एक अलग आदर व सम्मान है जिससे इनके साथ खड़े होने वालों की तागात लाखों में है। बड़े ख़ुश नसीब होते है वो लोग जिनके जीवन कि हर ऊँच निंच, हर सुख दुख में उनके जीवन साथी का साथ होता और किरन श्रीवास्तव तो जैसे ईश्वर के इस आशीर्वाद के साथ जन्मी, किरन श्रीवास्तव के व्यक्तित्व को ऐसा ठोस  बनाने में राकेश  कुमार श्रीवास्तव जो की राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, जौनपुर के तीन बार से लगातार निर्विरोध चयनित अध्यक्ष तथा कायस्थ समाज के अध्यक्ष है उन्होंने समाज में किरन श्रीवास्तव  के साथ कंधे से कंधा मिला के समाज के एक उच्च कोटि के निर्माण में बख़ूबी साथ दिया। इतना ही नहीं समाजसेवी श्रीमती श्रीवास्तव एक वर्चस्वी संगठित परिवार से है, इनके बड़े जेठ सन 1991 से लगातार दो बार आज़मगढ़ में सभासद  रहे, वो अपने व्यक्तित्व के लिए आज़मगढ़ में आज भी याद किए जाते है फिर उन्होंने निर्दलीय 3 बार नगर निकाय चुनाव में विशाल जीत हासिल की एवं आज़मगढ़ नगर पालिका को उत्तरप्रदेश में सर्वोच्य स्थान दिलाया। उन्होंने  किरन श्रीवास्तव  को ज़रूरत पड़ने पे हर ऊँच नींच का बख़ूबी ज्ञान दिया तथा चुनाव में महिलाओं के संचालन की पूर्ण ज़िम्मेदारी किरन  के कंधो पे रखी जिसका किरन  ने पूर्ण रूप से पालन किया और चुनाव नतीजों में उन्हें भारी  जीत मिली। समाज के हर वर्ग में इतना लोकप्रिय होना किरन  के लिए इतना आसान न होता अगर वो निष्ठा पूर्वक समाज सेवा का पालन न कर रही होती।  किरन  का जौनपुर के समाज के निर्माण में एक सराहनीय हिस्सा रहा है, जौनपुर की हर व्यक्तित्व निर्माण की संस्थाओ से अटूट रिश्ता रहा और सभी में इन्होंने बख़ूबी अपनी हिस्सेदारी दी, चाहे वो जेसीज़ क्लब हो या रोटरी क्लब, चाहे लाइयंज़ क्लब हो या सद्भावना क्लब सब में इन्हें इनके कार्यो  के चलते महत्वपूर्ण स्थान मिला तथा इन्होंने लगभग सारी संस्थाओ में अध्यक्ष पद पे चयनित होकर  उस पद का सम्मान बढ़ाया। समाज में ऐसा कहा जाता है किरन  एक प्रभावशाली नेतृत्व वाली महिला है, ऐसा सुनना हर किसी के नसीब में नहीं होता, तो आइए देखते है किरन  ने अपने समाज के लिए ऐसा क्या किया :
 १. किरन  का व्यक्तित्व हमेशा उन्हें ग़रीबों और किसानो के बीच ले जाता है, उन्हें ग़रीबों-किसानो के बीच जाकर  उनकी समस्या सुनना तथा सही सुझाव देकर  उस समस्या का समाधान करवाके सुकून की प्राप्ति होती है।
 २. किरन  को हमेशा कई शिक्षण संस्थानो में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन के लिए बुलाया जैसे की बच्चों को अच्छी सीख व प्रेरणा मिले और वो समाज में एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें।
३. किरन  ने कई संस्थाओ में भागीदारी देकर  असहाय ग़रीबों के लिए ठंड के समय छत तथा कंबल का सहयोग हर साल बिना किसी के याद दिलाए ख़ुद से बाटा ।
४. किरन  ने ज़ेब्रा संस्था के अंतर्गत हर तीसरे साल सामूहिक विवाह आयोजन में बढ़ चढ़ कर  संजय सेठ  के साथ कंधे से कंधा मिला के हिस्सेदारी ली तथा अब तक लगभग 400 से ज़्यादा जोड़ो का सामूहिक विवाह करवाने में अपना सहयोग दिया।
 ५. इतना ही नहीं कला एवं संस्कृति में विशेष रुचि रखने वाली श्रीमती श्रीवास्तव  ने कलाकारों को हमेशा पूर्ण रूप से सराहा है और समाज में कलाकारों को ऐसे मौक़े दिए तथा दिलवाए है जिससे कि वो अपनी प्रभावशाली कला का प्रदर्शन कर सके और अपने माँ-बाप और जौनपुर को देश-विदेश में गौरव बढ़ाया।  साथ में  आस पास वालों के लिए प्रेरणाश्रोत बन सके।
६. सिर्फ़ कला एवं संस्कृति ही नहीं श्रीमती किरन  की रुचि खेल तथा खिलाड़ियों में भी है, जौनपुर सदर क्षेत्र में विभिन्न टूर्नामेंट का आयोजन एवं नगर के खिलाड़ियों को सम्मानित करने में किरन  की हमेशा विशेष भूमिका पायी गयी है और नगर में इनके इस आचरण को सराहनीय माना जाता रहा है जो की अति विशेष है।
 ७. किरन जी को अनेको बार  स्कूल एवं अनाथलयों के बच्चों के लिए सेवा भाव अर्पित करते पाया गया है।
८. किरन समय समय पर  अस्पतालों में निष्ठा पूर्वक फल आदि वितरण करती है। कहा जाता है उच्च कोटि के संस्कारो वाली श्रीमती श्रीवास्तव  जौनपुर के समाज का गौरव ही नहीं बल्कि संस्कारो को आन, बान व शान मानने वाली समाज सेविका हैं। इसका प्रमाण ये है कि २०१२ में जौनपुर से नगर निकाय चुनाव में सबसे सशक्त दावेदारी के बावजूद भाजपा द्वारा किसी कारण टिकट नहीं दिए जाने उन्होंने पार्टी के सम्मान में निर्दलीय दावेदारी करने से स्पष्ट मना कर दिया और अपने पार्टी और संगठन के साथ पूर्ण रूप से उसी आस्था एवं विश्वास से जुड़ी रही, इससे और कुछ तो नहीं बल्कि उनके उच्य संस्कारो का पता चलता है। आगे आने वाले समय में भाजपा ने उन्हें ज़िलामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद का संचालन करने की जिम्मेदारी दी और अपने तीन साल के कार्यकाल में श्रीमती श्रीवास्तव इस पद और अपने संगठन को अपने कार्यों से गर्वनित किया। इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मुस्लिम समेत ४२०० भाजपा सदस्य बनाए और महिलाओं में सबसे अधिक सदस्य बनाने का संगठन द्वारा सम्मान प्राप्त किया। श्रीमती श्रीवास्तव कायस्थ कल्याण समिति की पूर्व ज़िला अध्यक्ष रह चुकी है तथा वर्तमान में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की प्रदेश उपाध्यक्ष के पद का गौरव बढ़ा रही है, जौनपुर सदर के लगभग 60000 कायस्थ भाई-बहनो का सम्मानित आशीर्वाद प्राप्त कर उसकी अध्यक्षता करने के बाद अब श्रीमती श्रीवास्तव अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन, जौनपुर जिसके अंतर्गत 1,55,000 वैश्य भाई-बहन आते है उसके महिला प्रकोष्ठ की सम्मानित अध्यक्ष है और उनके लिए सभी का अटूट प्रेम व सम्मान है। श्रीमती किरन  की वही इज़्ज़त और सम्मान जौनपुर सदर के 70000 मुसलमान भाई-बहनो में भी है। अक्सर मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र में श्रीमती श्रीवास्तव को सम्मानित हुई है तथा अनेकों खेल टूर्नामेंट की शुरुआत और अंत करने हेतु इनको आमंत्रित किया जाता है और काफ़ी सम्मान दिया जाता है। हर 5-7 दिन में जौनपुर की जनता के बीच अख़बार एवं मीडिया के सहयोग से चर्चा में बनी रहने वाली समाज सेविका श्रीमती श्रीवास्तव की ताक़त और शोहरत का आंकलन नहीं किया जा सकता, वैसे तो इनके साथ खड़े होने वाले लोग सैकड़ो , हज़ारों नहीं बल्कि लाखों में है लेकिन इनकी ताक़त हैं इनके दोनो बाजु इनके दोनो बच्चे शिवम् और अमन, शिवम् को संगठित- विज्ञान से इंजिनीर बनाया और आज की तारीख़ में वो IT कम्पनी का संचालन नोएडा से कर रहे है वहीं अमन जी अपने माँ-पिता के साथ कंधे से कंधा मिला के समाज को और सम्पन्न बनाने हेतु लॉ (ऑनर्ज़) की डिग्री की पढ़ाई कर रहे साथ ही साथ ABVP लखनऊ में ऐक्टिव सदस्य है।

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