गन्ना प्रजातीय पहचान को लेकर किसानों को किया जायेगा जागरूक : चीनी आयुक्त
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जौनपुर। आयुक्त गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विपिन कुमार द्विवेदी ने निदेशक, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर एवं विभागीय अधिकारियों के साथ की गयी समीक्षा बैठक में शोध परिषद एवं उसके अधीन शोध केन्द्रों के वैज्ञानिकों को गतवर्ष प्रदेश के विभिन्न जनपदों में गन्ना प्रजातियों की पहचान को लेकर आयी समस्या के निदान हेतु निर्देश दिया कि शोध केन्द्रों के वैज्ञानिक मौके पर जाकर किसानों को गन्ना प्रजातीय पहचान के बारे में प्रशिक्षित करें। इसके लिये वैज्ञानिकों को मण्डल एवं जनपद आंवटित करने के भी निर्देश दिये।
बैठक में दिये गये निर्देशों के विस्तृत जानकारी देते हुए मुख्य प्रचार अधिकारी डा0 भूपेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि वर्तमान में चल रहे गन्ना सर्वे निरीक्षण के समय जिला गन्ना अधिकारी एवं शोध परिषद वैज्ञानिक संयुक्त रूप से किसानों को अस्वीकृत गन्ना प्रजातियों को बोने से होने वाले आर्थिक नुकसान व गन्ना प्रजाति की पहचान के बारे में अवगत करायेंगे। सर्वे निरीक्षण के समय तकनीकि/अनुभव से लाभान्वित करेंगे तथा गांव में गोष्ठी कर गन्ना उत्पादन बढ़ाने, कीट रोग प्रबंधन, गन्ना बीज की महत्ता, बीज शोधन, बुवाई विधि में बदलाव के फायदे, गन्ने की सहफसली खेती आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दंेगे जिससे गन्ना विकास की योजनाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक तकनीकी का प्रसार एक साथ होगा। गन्ना विकास एवं गन्ना शोध के अनूठे समन्वय से प्रयोगशाला से निकली वैज्ञानिक तकनीकी का फायदा किसानों तक पहुंचेगा ।
विभागीय अधिकारियों एवं गन्ना ख्ेाती के विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम द्वारा मौके पर गन्ना किसानों से संवाद स्थापित किये जाने की पहल पर गन्ना एवं चीनी आयुक्त विपिन कुमार द्विवेदी ने बताया कि गन्ना किसानों और चीनी मिलों के बीच अगैती, सामान्य एवं अस्वीकृत प्रजातियों के पहचान को लेकर उत्पन्न समस्या के निदान के लिए वैज्ञानिक ही ऐसी कड़ी है जो यह तय करते हैं कि अमुक गन्ना किस प्रजाति का है। प्रदेश के ऐसे जनपद जिनमें गन्ना प्रजातियों की पहचान को लेकर गतवर्ष काफी समस्या आयी हो, उन जनपदों में, माह में कम से कम दो बार भ्रमण हेतु वैज्ञानिकों को जनपद आवंटित करने के निर्देष उप गन्ना आयुक्त एवं जिला गन्ना अधिकारी को दिये गये। वैज्ञानिक आवंटित जनपदों के जिला गन्ना अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर नियमित भ्रमण करके जनपद के उन संवेदनशील गॉंव में प्रजातीय सन्तुलन का भी आंकलन करेगें जहॉं गतवर्ष प्रजातीय पहचान की समस्या रही ।