एक बार फिर सुर्खियों में बने शाहगंज आईटीआई के प्रधानाचार्य
https://www.shirazehind.com/2016/06/blog-post_72.html
गोरखपुर के लिये स्थानान्तरण होने के बाद भी डटे हैं शाहगंज
जौनपुर। शाहगंज नगर में संचालित राजकीय आईटीआई के प्रधानाचार्य एक बार सुर्खियों में आ गये हैं, क्योंकि चर्चा है कि जहां वह कालेज के 8 कमरों को अपनी मनमानी से कानूनी तरीके से सीज कर दिये हैं, वहीं गोरखपुर के लिये तबादला होने के बावजूद भी वह यहीं जमे हुये हैं। सूत्रों की मानें तो बीते 16 मार्च को प्रधानाचार्य महोदय का तबादला राजकीय आईटीआई बांसगांव-गोरखपुर के लिये हो गया है लेकिन न वह यहां से जा रहे हैं और न ही गोरखपुर जाकर अपनी नयी तैनाती ज्वाइन किये हैं। इतना ही नहीं, पूरे मार्च महीने का वेतन भी यहां से आहरित किये जाने की चर्चा है। चर्चाओं के अनुसार 7 मई तक वे शाहगंज आईटीआई नहीं आये थे लेकिन इसके बाद आकर 4 मई के डेट में कर्मचारियों की उपस्थिति पंजिका पर उन्होंने हस्ताक्षर कर दिया है। बताया जा रहा है कि दो तल की आईएमसी भवन में 8 क्लास रूम प्रशिक्षण हेतु हैं। 12 अप्रैल को उन्होंने अपनी मनमानी से सभी कमरों को सीज कर दिया है जो समझ से परे है। दो संविदाकर्मियों पर मेहरबान रहने वाले प्रधानाचार्य का सारा कार्य एक ऐसा कर्मचारी करता है जो वाराणसी के बिजली विभाग में तैनात है जबकि यहां लिपिक व स्टोर कीपर के रूप में भी लोग उसको बताते हैं। यदि आईटीआई के साज-सजा व सामग्री पर ध्यान दिया जाय तो सारा सामान लावारिश पड़ा हुआ है जो पूरी तरह से राजस्व का नुकसान है।
जौनपुर। शाहगंज नगर में संचालित राजकीय आईटीआई के प्रधानाचार्य एक बार सुर्खियों में आ गये हैं, क्योंकि चर्चा है कि जहां वह कालेज के 8 कमरों को अपनी मनमानी से कानूनी तरीके से सीज कर दिये हैं, वहीं गोरखपुर के लिये तबादला होने के बावजूद भी वह यहीं जमे हुये हैं। सूत्रों की मानें तो बीते 16 मार्च को प्रधानाचार्य महोदय का तबादला राजकीय आईटीआई बांसगांव-गोरखपुर के लिये हो गया है लेकिन न वह यहां से जा रहे हैं और न ही गोरखपुर जाकर अपनी नयी तैनाती ज्वाइन किये हैं। इतना ही नहीं, पूरे मार्च महीने का वेतन भी यहां से आहरित किये जाने की चर्चा है। चर्चाओं के अनुसार 7 मई तक वे शाहगंज आईटीआई नहीं आये थे लेकिन इसके बाद आकर 4 मई के डेट में कर्मचारियों की उपस्थिति पंजिका पर उन्होंने हस्ताक्षर कर दिया है। बताया जा रहा है कि दो तल की आईएमसी भवन में 8 क्लास रूम प्रशिक्षण हेतु हैं। 12 अप्रैल को उन्होंने अपनी मनमानी से सभी कमरों को सीज कर दिया है जो समझ से परे है। दो संविदाकर्मियों पर मेहरबान रहने वाले प्रधानाचार्य का सारा कार्य एक ऐसा कर्मचारी करता है जो वाराणसी के बिजली विभाग में तैनात है जबकि यहां लिपिक व स्टोर कीपर के रूप में भी लोग उसको बताते हैं। यदि आईटीआई के साज-सजा व सामग्री पर ध्यान दिया जाय तो सारा सामान लावारिश पड़ा हुआ है जो पूरी तरह से राजस्व का नुकसान है।